समान नागरिक संहिता के लिए व्यापक विचार-विमर्श जरूरी : नवनियुक्‍त कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद

समान नागरिक संहिता के लिए व्यापक विचार-विमर्श जरूरी : नवनियुक्‍त कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद

रविशंकर प्रसाद का फाइल फोटो

खास बातें

  • उन्‍होंने अपने विभाग का कार्यभार संभालने के बाद यह बात कही
  • इस वक्त यूसीसी मसले पर विधि आयोग विचार कर रहा है
  • उनके मुताबिक संविधान का अनुच्छेद 44 समान नागरिक संहिता का आदेश देता है
नई दिल्ली:

नवनियुक्त केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की दिशा में आगे की ओर कदम बढ़ाने से पूर्व व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है। उन्होंने यह बयान मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल किए जाने के बाद अपने विभाग का कार्यभार संभालने के बाद दिया।

 प्रसाद ने कहा कि यूसीसी की दिशा में आगे बढ़ने से पूर्व 'सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया जाएगा।' उन्होंने कहा कि इस वक्त यूसीसी मसले पर विधि आयोग विचार कर रहा है। प्रसाद ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 44 समान नागरिक संहिता का आदेश देता है।

 अनुच्छेद 44 कहता है, "पूरे देश में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का राज्य प्रयास करेगा।" प्रसाद ने स्वयं को कानून एवं न्याय मंत्रालय का 'अनुभवी' बताते हुए कहा कि यह उनकी तीसरी कार्यावधि है। वह पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में राज्यमंत्री और उसके बाद मई 2014 में मोदी के पद संभालने के बाद भी मंत्रालय को देख चुके हैं।

केंद्रीय कानून मंत्री ने न्यायिक सक्रियता पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि स्वतंत्र न्यायपालिका राज्य का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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