नई दिल्ली: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर जम्मू एवं कश्मीर की जोजिला दर्रा सुरंग परियोजना का ठेका देने के मामले में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया है। दिग्विजय ने सोमवार को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) को भेजे पत्र में इस परियोजना के मुद्दे को उठाया है।
जोजिला दर्रे में बनने वाली एशिया की सबसे लंबी सुंरग परियोजना की लागत 10,050 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसे बनाने का ठेका आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड को मिला है।
पीएम मोदी को भेजे पत्र में दिग्विजय ने लिखा है, "मैं आपसे इस मामलों को देखने का अनुरोध कर रहा हूं। कृपया तुरंत जरूरी कदम उठाइए, ताकि बेहतर जांच होने से पहले परियोजना के लिए 981 करोड़ की पहली किश्त जारी करने से रोकी जा सके। मैंने इस मामले को सीवीसी के संज्ञान में भी डाला है।"
उन्होंने लिखा है, "मुझे उम्मीद है कि आप (मोदी) सच्चाई का पता लगाने के लिए मामले की तह तक जाएंगे और इसे जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने से नहीं हिचकेंगे।"
इससे पहले सीवीसी को भेजे पत्र में दिग्विजय ने लिखा, "आईआरबी समूह के प्रमोटर, म्हासकर परिवार के साथ नितिन गडकरी के संबंध कोई ढकी-छिपी बात नहीं है। अतीत में ये गडकरी परिवार की कंपनियों में करोड़ों का निवेश कर चुके हैं। निखिल गडकरी (नितिन गडकरी के पुत्र) आईआरबी समूह की आइडियल एनर्जी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड में अंशधारक और संस्थापक निदेशक थे।"
पत्र में कहा गया है, "ठेका देने की प्रक्रिया को सीवीसी के दिशानिर्देशों को धता बताते हुए तैयार किया गया और लागू किया गया। आखिरी दौर में बोली लगाने वालों में अकेला आईआरबी ही बचा था। जबकि, शुरुआती चरणों में आईएलएफएस, एल एंड टी, एचसीसी जैसी कई प्रतिष्ठित कंपनियां बोली लगाने का हिस्सा थीं।"
पत्र में कांग्रेस नेता ने लिखा, "इन कंपनियों को साफ संकेत दिए गए कि या तो बोली से हट जाओ नहीं तो अन्य परियोजनाओं के लिए नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहो। इतनी ऊंचाई पर सुरंग बनाने के मामले का आईआरबी को कोई अनुभव नहीं है। निविदा दस्तावेजों को ऐसे बनाया गया कि अन्य अनचाहे बोली लगाने वालों को किनारे लगाया जा सके।"
गडकरी ने एक संवाददाता सम्मेलन में इन तमाम आरोपों को गलत बताया है।