यह ख़बर 14 मई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

नोएडा : ज़मीन अधिग्रहण रद्द करने का फ़ैसला बरकरार

खास बातें

  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भूमि अधिग्रहण से जुड़े मामले में सोमवार को पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए अपने पुराने फैसले को बरकरार रखने का आदेश दिया।
इलाहाबाद:

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भूमि अधिग्रहण से जुड़े मामले में सोमवार को पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए अपने पुराने फैसले को बरकरार रखने का आदेश दिया।

नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और किसान (दोनों पक्षों) की तरफ से दायर पुनर्विचार याचिका को उच्च न्यायालय ने उसे खारिज कर दिया और कहा कि इस सम्बंध में 21 अक्टूबर 2011 का पुराना फैसला बरकरार रहेगा।

उल्लेखनीय है कि 21 अक्टूबर 2011 को उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एसयू खान, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति वीके शुक्ल की विशेष पीठ ने किसानों की तरफ से भूमि अधिग्रहण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए किसानों को प्राप्त मुआवजे से 64 फीसदी अधिक मुआवजा और 10 फीसदी विकसित जमीन देने के आदेश दिए थे।

साथ ही न्यायालय ने यह भी आदेश दिया था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड की अनुमित के बगैर अब वहां पर कोई नया निर्माण नहीं होगा।

किसानों और अथॉरिटी की तरफ से इस फैसले के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी, जिसमें किसानों ने मांग की थी कि जहां पर निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ वहां अधिग्रहण रद्द करके जमीन वापस कर कर दी जाए, जबकि अथॉरिटी की तरफ से मांग की गई थी कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड की अनुमित के बगैर निर्माण कार्य की अनुमित दी जाए और दस फीसदी विकसित जमीन सभी किसानों को देने के लिए न कहा जाए।

किसानों के वकील पंकज दुबे ने संवाददाताओं से कहा कि उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की तरफ से पुराने फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर उसे बरकरार रखने के आदेश दिए।

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दोनों पक्षों की तरफ से उच्च न्यायालय के इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दिए जाने की सम्भावना है।