क्‍या मीडिया में नज़रअंदाज़ रहने वाली सीपीएम ने अपना चेहरा बदलना शुरू किया है?

क्‍या मीडिया में नज़रअंदाज़ रहने वाली सीपीएम ने अपना चेहरा बदलना शुरू किया है?

नई दिल्‍ली:

बुधवार सुबह देश के बड़े राष्ट्रीय अख़बारों के पहले पन्ने पर बड़े-बड़े विज्ञापन दिखे। इसमें केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का फोटो था। केरल को ट्रूली गॉड्स ऑन कंट्री बनाने का संकल्प था। सीएम विजयन का इंटरव्यू था और सरकार का बखान भी था। हालांकि तब तक केरल में नई सरकार का शपथ ग्रहण भी नहीं हुआ था। विज्ञापन केरल सरकार की ओर से दिए गए। तकनीकी रूप से इस विज्ञापन में कुछ गलत नहीं, लेकिन ये विज्ञापन सीपीएम की सादगी और कम्युनिस्ट विचारधारा से मेल खाते नहीं दिखे।

सीपीएम 'आधुनिक' बनने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी : नीलोत्पल बसु
केरल में अपनी पार्टी की नई सरकार के शपथ ग्रहण में पहुंचे सीताराम येचुरी ने एनडीटीवी संवाददाता स्नेहा मैरी कोसी के सवालों के सीधे जवाब नहीं दिए, लेकिन दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेता नीलोत्पल बसु ने कहा कि सीपीएम 'आधुनिक' बनने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी। 'हमें पता है जैसे कॉर्पोरेट मीडिया काम करता है या जो उनके मालिकों का ढांचा है, उसमें कोई हमारी पार्टी के साथ (नहीं) खड़ा होगा... इस बात को लेकर हमें कोई संदेह नहीं है।' बसु ने इन विज्ञापनों को सही ठहराते हुए कहा, 'हमारी पार्टी की वहां सरकार बनी है और हमें लोगों ने वोट दिया है। हम इसीलिए जनता को अपनी नीति और कार्यक्रम के बारे में बता रहे हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है।'

क्‍या सीपीएम ने अपना चेहरा बदलना शुरू किया है?
ये विज्ञापन दिल्ली से लेकर मुंबई औऱ देश के कई दूसरे शहरों से निकलने वाले अख़बारों पर छाए। सवाल ये उठा कि क्या अब तक मुख्यधारा की मीडिया से दूर रहने वाली या कहिए कि मीडिया में नज़रअंदाज़ रहने वाली सीपीएम ने अपना चेहरा बदलना शुरू किया है? असल में पिछले एक साल से सोशल मीडिया में पार्टी का दखल बन रहा है। ट्विटर पर सीपीएम और उसके नेताओं के अकाउंट हैं, भले ही उनके फॉलोवर नरेंद्र मोदी जितने न हों। पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी के 25 हज़ार से अधिक फॉलोवर हैं। 93 साल के वरिष्ठ नेता अच्युतानंदन का भी ट्विटर अकाउंट है। पार्टी को कवर करने वाले पत्रकारों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। केरल के साथ बंगाल के नेता भी सोशल मीडिया में सक्रिय हो रहे हैं। फिर भी बुधवार को छपे इन विज्ञापनों से सवाल ये उठा कि क्या कांग्रेस, बीजेपी और दूसरी पार्टियों के बुर्जुआ कहने वाली सीपीएम अपने रास्ते से  हट रही है।

सारी पार्टियां प्रचार कर रही हैं तो हम क्यों न करें : बसु
सेंट्रल कमेटी के सदस्य नीलोत्पल बसु कहते हैं कि सारी पार्टियां प्रचार कर रही हैं तो वह क्यों न करें। बसु कहते हैं, 'अगर पैसे खर्च की ही बात है तो केजरीवाल, पीएम मोदी और कांग्रेस के पैसों का भी हिसाब हो जाए, तो पता चलेगा कि किसने कितना खर्च किया है। मोदी जी की विदेश यात्राओं और सरकार को दो साल पूरा होने पर किए जा रहे प्रचार पर कितना खर्च हो रहा है।'

ये दिलचस्प है कि इतने भारी-भरकम विज्ञापन देने वाली केरल सरकार ने यह भी कहा कि ऑस्टिरिटी ड्राइव के तहत उसके मंत्री अपने बंगलों की नई साज-सज्जा नहीं करेंगे।


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