यह ख़बर 28 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

न्यायपालिका के लिए निर्धारित मापदंड ही मंत्रियों पर लागू होने चाहिए : सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि न्यायपालिका और सिविल सेवाओं में संदिग्ध निष्ठा वाले व्यक्तियों की नियुक्ति नहीं करने संबंधी पैमाना ही मंत्रियों की नियुक्ति के मामले में भी लागू होना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले ऐसे व्यक्तियों, जिनके खिलाफ अभियोग निर्धारित हो चुके हैं, को केन्द्र और राज्यों में मंत्री कैसे बनाया जा सकता है।

मंत्रिमंडल में दागी व्यक्तियों को शामिल नहीं करने संबंधी फैसला सुनाने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने अलग से लिखे अपने निर्णय में यह सवाल उठाए हैं।

न्यायमूर्ति कुरियन ने सवाल किया है, 'क्या कोई बुद्धिमान व्यक्ति अपनी तिजोरी की चाबियां ऐसे नौकर के पास छोड़ेगा जिसकी निष्ठा संदिग्ध हो?' न्यायमूर्ति कुरियन ने कहा कि इस बात का जिक्र करना असंगत नहीं होगा कि संदिग्ध निष्ठा वाला व्यक्ति शासन के महत्वपूर्ण अंग में नियुक्त नहीं किया जाए जिसका काम कानून की व्याख्या करना और न्याय देना है तो फिर संदिग्ध निष्ठा के बारे में बात ही क्यों हो। उन्होंने कहा कि आपराधिक मामले में मुकदमे का सामना कर रहे किसी प्रत्याशी को उसकी कथित आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण सिविल सेवा में भी नियुक्त नहीं किया जाता है।'

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शीर्ष अदालत ने इस फैसले में दागी व्यक्तियों को मंत्री बनाने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल से सिफारिश करने का मसला प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के विवेक पर छोड़ दिया है।