मुंबई: 26/11 मुंबई हमले के सरकारी गवाह बन चुके डेविड हेडली की शनिवार की गवाही पूरी हो गई है। आज की गवाही में हेडली ने बताया कि वह 26/11 मुंबई हमले के बाद भारत आया था और दिल्ली, पुष्कर, पुणे और गोवा भी गया था। इसके अलावा उसने पुणे के इंडियन आर्मी इंस्टालेशन और इंडियन आर्मी के दक्षिण कमांड के हेडक्वार्टर भी रेकी की थी। वहां उसका मकसद लश्कर के लिए भारतीय सेना में से जासूस नियुक्त करना था।
हेडली ने यह भी बताया कि उसके आका लश्कर के साजिद मीर ने कहा था कि जकी उर रहमान लखवी और हाफिज सईद ‘के खिलाफ कुछ नहीं होगा’ और 26/11 मामले में उनके और लश्कर के अन्य सदस्यों के खिलाफ पाकिस्तानी संघीय जांच एजेंसी की कार्रवाई ‘दिखावटी’ है। हेडली ने बताया कि वह और मीर ईमेल में कूट भाषा का इस्तेमाल करते हुए हाफिज सईद को ‘‘बूढे चाचा’’ और ‘‘जकी को ‘‘जवान चाचा’’ कहा था।
शुक्रवार को हुई गवाही के दौरान हेडली ने बताया था कि 2009 में 26/11 से भी बड़े हमले की तैयारी हो रही थी। इसके लिए वह भारत भी आ चुका था। उसने बताया कि लश्कर और आइएसआई दोनों ही गुट सिद्धिविनायक मंदिर, नेवल बेस और मुंबई एयरपोर्ट पर भी हमला करना चाहते थे लेकिन सुरक्षा को देखते हुए इस योजना को खारिज कर दिया गया था।
गवाही से राजनीति गरमाई
मुंबई हमले के मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये गवाही दे रहे डेविड हेडली ने इससे पहले यह खुलासा भी किया था कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर पर भी हमला करने की लश्कर की योजना थी। इसके लिए हेडली को खासतौर पर रेकी के लिए भी कहा गया था, लेकिन हेडली ने कल कोर्ट को बताया कि उसने आखिरी वक्त में लश्कर के आकाओं को सिद्धिविनायक मंदिर पर हमला नहीं करने को कहा, क्योंकि मंदिर की कड़ी सुरक्षा तो थी ही, साथ ही इस हमले को अंजाम देने के लिए मुंबई के दक्षिण में स्थित नौसेना बेस के पास से गुजरना पड़ता जो चुनौतीपूर्ण था।
डेविड हेडली की गवाही ने राजनीति फिर गर्मा दी है। गृहमंत्रालय कह रहा है कि वह तो इस बात पर कायम रहा है कि इशरत लश्कर की ऑपरेटिव थी। साथ ही वह दावा कर रहा है कि पिछली सरकार के गृहमंत्री पी चिंदबरम नें एनआईए की एफिडेविट की फाइलों से छेड़छाड़ करके इशरत से जुड़ी जानकारियां हटवा दी थीं।