मोदी सरकार ने अपनी कूटनीति से पिछले एक साल में विश्वभर में छाप छोड़ी : जेटली

मोदी सरकार ने अपनी कूटनीति से पिछले एक साल में विश्वभर में छाप छोड़ी : जेटली

नरेंद्र मोदी सरकार के एक साल पूरा होने के मौके पर मीडिया से मुखातिब होते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, एक साल पहले देश में जो निराशा का माहौल था वह अब उत्साह में बदल गया है। संकट की स्थितियों में भारत ने अपने नेतृत्व की छाप छोड़ी और दुनिया में उसका अपना अद्भुत स्थान बना है।

जेटली ने कहा कि विकास और वृद्धि दर बढ़ाने के लिए लगभग रोजाना और साप्ताहिक आधार पर फैसले किए जा रहे हैं। विरोध की स्थिति में भी निर्णय लेने की क्षमता मोदी सरकार की विशेषता है। सरकार को किस दिशा में आगे बढ़ना है, उसके बारे में पूरी स्पष्टता है और यह रास्ता वृद्धि और विकास की ओर जाता है।"

जेटली के मुताबिक, "इस सरकार की मुख्य विशेषता भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन, निर्णय लेने की क्षमता और पारदर्शी तंत्र और बिना किसी विसंगति के फैसला लेना है। इन सभी चीजों से देश का कारोबारी सूचकांक ऊपर बढ़ रहा है। "

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जेटली ने कहा, "आज हम विश्व की सबसे तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था हैं। लेकिन हमारे लिए यही पर्याप्त नहीं है। उन्होंने आगे कहा, "लोग अब यह पूछने लगे हैं कि हम आठ प्रतिशत से अधिक तेजी से विकास क्यों नहीं कर रहे हैं? तीव्र विकास की यही बेचैनी भारत की वास्तविक संभावना है।"


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जेटली के संबोधन की मुख्य बातें इस प्रकार हैं...
  • एक वर्ष पूरा हो रहा है और ये दिखाता है मोदीजी के नेतृत्व में कैसे काम हो रहा है।
  • पूरे विश्व में भारत और प्रधानमंत्री जी का प्रभाव दिखा है। प्रधानमंत्री 18 देशों में गए।
  • इराक़, मालदीव, यमन नेपाल में जब संकट आए तो हमने कूटनीति से अपनी छाप छोड़ी।
  • सुशासन का प्रतीक और भविष्य के लिए पारदर्शिता का मॉडल पेश किया।
  • इंफ़्रास्ट्रक्चर में काम हुआ, स्मार्ट सिटी की योजना प्रभाव छोड़ती है।
  • जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव मेनस्ट्रीम पार्टियों की जगह बनना बड़ी उपलब्धि है।
  • एक साल पहले अर्थव्यवस्था को लेकर निराशा का माहौल था और अब उत्साह का माहौल बना है।
  • प्रमाण ये है कि विकास दर 7.5-8 फ़ीसदी बढ़ी है, बेचैनी ये है कि और ज़्यादा क्यों नहीं बढ़ी।
  • कठिन विषयों में निर्णय करना यहां तक कि गतिरोध के हालात में निर्णय करना ये पहचान बनी है।
  • जो लोग तेज़ गति से परेशान हैं वो इससे परेशान हैं कि अध्यादेश क्यों लाए, मनी बिल क्यों लाए।
  • देश का मिज़ाज है कि वो धीमी गति के लिए तैयार नहीं है।
  • किस दिशा में जाना है इसे लेकर कोई विवाद नहीं है। ये विकास और तरक़्क़ी के लिए है।
  • अर्थव्यवस्था में ख़ुलापन आया है।
  • मंत्रालयों में व्यक्ति के आधार पर नहीं सिद्धांत के आधार पर निर्णय लिए गए।
  • कोयला खदानों का आवंटन स्पैक्ट्रम का आवंटन उदाहरण है।
  • जीएसटी पर आगे बढ़े और मुझे उम्मीद है कि यह बिल राज्यसभा में भी पास हो जाएगा।
  • इस सरकार की टैक्स नीति से कोई विवाद नहीं हुआ। कुछ पुराने विवाद हैं जो खत्म हों इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।
  • सरकार में स्पष्ट एकरूपता है। जितने मत आते हैं उनके हिसाब से सरकार का निर्णय होता है और सब उसके पीछे खड़े होते हैं।
  • भ्रष्टाचार का खात्मा हो जनता की ये इच्छा रहती है, हमने एक साल में ये करके दिखाया है।
  • संघीय सहकारिता की दिशा में क़दम बढ़े हैं।
  • नीति आयोग का गठन।
  • 14वें वित्त आयोग को लागू करना, मिनरल रिच राज्यों को नीलामी से मिलने वाला पैसा, GST की रकम में जाएगा।
  • राजनीतिक मतभेद के बावजूद क्षेत्रीय दलों ने सहयोग किया, क्योंकि केंद्र सहयोग का राज्यों के प्रति रवैया बदला है।
  • बजट घाटे को कम किया है।
  • जितने आर्थिक पैमाने हैं- बजट घाटा, विदेशी मुद्रा भंडार सब में सुधार हुआ।
  • जांच एजेंसियों का दुरुपयोग अब इतिहास की बात है। उनमें ईमानदार लोगों को लाकर व्यवस्था सुधारने का प्रयास हुआ।
  • सब्सिडी उनके लिए हो जिन्हें इसकी ज़रूरत है। लीकेज रोके गए। डीबीटी से रोके गए। खाद किसान को सब्सिडी पर मिलेगी।
  • हमारी प्राथमिकता है अगले सत्र में जीएसटी और भूमि अधिग्रहण बिल पास कराना, हाईवे की रुकी परियोजनाएं शुरू हुई हैं।
  • एंट्री पाइंट पर बिज़नेस को सरल करना ये सरकार का एजेंडा है। विनिवेश के लिए इस साल ज़्यादा बड़ा लक्ष्य।
  • काले धन को खत्म किया जाए, इसके लिए कई क़दम उठाए गए।
  • अंतरराष्ट्रीय मंदी की वजह से बैंकों पर दबाव था। बैंकों में नियुक्ति व्यावसायिक ढंग से किए जाएं ये व्यवस्था की गई।
  • कृषि क्षेत्र पर दबाव रहा है इसलिए मोदीजी ने सहायता के नियमों में बदलाव किया है।
  • सरकार के सामाजिक कार्यक्रम जो लंबे समय में समाज को फ़ायदा दे न कि सिर्फ चुनाव के वक़्त ऐसी योजनाओं का ऐलान करना।
  • सिर्फ 20 फ़ीसदी लोगों तक बीमा की पहुंच है, अब ग़रीबों तक इसका फ़ायदा पहुंचाने की कोशिश। सिर्फ 13 दिन में साढ़े सात करोड़ लोगों तक पहुंची बीमा योजना।
  • भारत में लोगों को पेंशन नहीं मिलती सिर्फ 11 फ़ीसदी को मिलती है। 'अटल पेंशन योजना' और एनपीएस में कर राहत देकर प्रोत्साहित करना।
  • वृद्धों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना।
  • रक्षा मंत्रालय में ख़रीद की रफ़्तार तेज़ करना, तेल मंत्रालय में सब्सिडी व्यवस्था ठीक करना।