दावे लंबे-चौड़े, लेकिन रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश आया सिर्फ एक करोड़ रुपये...

दावे लंबे-चौड़े, लेकिन रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश आया सिर्फ एक करोड़ रुपये...

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर...

नई दिल्‍ली:

लंबे चौड़े दावे के बावजूद रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश मात्र एक करोड़ ही आ पाया। हालांकि सरकार ने पिछले महीने से डिफेंस में 100 फीसदी एफडीआई की इजाजत दी। पहले ये सीमा 49 फीसदी ही थी, लेकिन इसके नतीजे अभी आने शुरू हुए नहीं हुए है।

देश की सरहद पर चुनौतियां बढ़ गई हैं और सेना के तीनों अंगों के हथियार पुराने पड़ गए हैं। सेना अत्याधुनिक हथियार ख़रीदना चाहती है, लेकिन ख़रीद नहीं पा रही... वजह है सरकार की नई नीति। सरकार मेक इन इंडिया के तहत ही हथियार ख़रीदेगी। लेकिन दिक्कत ये है कि हथियार बनाने वाली कंपनी न तो भारत में निवेश करना चाह रही हैं और न ही आधुनिक तकनीक देना चाह रही हैं। यही वजह है कि 20 जून को सरकार ने रक्षा क्षेत्र में सौ फीसदी विदेशी निवेश का ऐलान किया।

वाणिज्‍य एवं उद्योग राज्‍यमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'मैं किसी एक सेक्‍टर के बारे में नहीं बता सकती हूं, इसमें वक्‍त लगता है, इंतजार कीजिए।'

विदेशी निवेश में उदार नीतियों की वजह से टेलीकॉम, इंश्योरेंस और सर्विस सेक्टर में काफ़ी विदेशी निवेश हुआ है, लेकिन रक्षा क्षेत्र में बीते दो साल में सिर्फ़ 1 करोड़ दस लाख का ही विदेशी निवेश हुआ। वैसे, निवेश पहले भी बहुत ज़्यादा नहीं था। वर्ष 2000 से 2016 के बीच सिर्फ़ 25.48 करोड़ का विदेशी निवेश रक्षा क्षेत्र में हुआ। विदेशी निवेश के मामले में रक्षा क्षेत्र 61वें स्थान पर है। इसकी एक बड़ी वजह रही है रक्षा क्षेत्र में नीतियों में स्पष्टता की कमी।

जैसे अगर कोई विदेशी कंपनी आती है तो वो किसे अपना रणनीतिक साझीदार बनाए और हथियार बनाए तो किस आश्वासन पर। अगर सेना ने नहीं ख़रीदे तो...। विपक्ष का कहना है कि ये सब सरकार की साख़ गिरने की वजह से हुआ है।

एनसीपी नेता डीपी त्रिपाठी है कि इससे सरकार की सखा का पता लगता है कि दो साल में रक्षा क्षेत्र में मात्र एक करोड़ का निवेश हुआ।

रक्षा मंत्रालय का मानना है कि रक्षा में विदेशी निवेश एक दो दिन में नहीं आता। इसमें वक़्त लगता है और सरकार नीतियों में ज़रूरी बदलाव कर रही है।

डिफेंस में निवेश
- 2002:
- निजी कंपनियों को 26 फीसदी तक हिस्सा
- अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का फैसला
- कारगिल युद्ध के बाद निजी कंपनियां
- गोला बारूद और स्पेयर पार्ट्स की कमी थी वजह
- Larsen & Toubro, Mahindra और Reliance की एंट्री
- लेकिन उन्हें कोई खास कामयाबी नहीं
- 2006 : सरकारी मंज़ूरी के साथ 100% FDI

डिफेंस में FDI
अक्टूबर 2014 - सितंबर 2015: डिफेंस कंपनियों में महज़ 56 लाख का FDI
अगस्त 2014 - फरवरी 2016: 1.12 करोड़ रुपये का FDI
मई 2014: FDI की सीमा 26% से 49% बढ़ाई गई
नवंबर 2015: 49% FDI को ऑटोमैटिक मंज़ूरी
जून 2016: 49 % तक सीधी मंज़ूरी
जून 2016 :100% FDI सरकारी मंज़ूरी के साथ


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com