कैसे टूटा दिल्ली डेयरडेविल्स का फिरोजशाह कोटला का श्राप?

नई दिल्ली:

21 अप्रैल 2013 को दिल्ली ने मुंबई इंडियंस को नौ विकेट से मात दी दी और उसके बाद उसे जीत के लिए अपने घर में दो साल और नौ हार तक का इंतजार करना पड़ा। कोई भी टीम जब अपने घर में खेलती है तो अपनी ताकत के हिसाब से तैयारियां करती हैं, लेकिन दिल्ली के लिए फिरोजशाह कोटला पर सब कुछ उल्टा ही नजर आ रहा था।

इस बीच टीम ने कई कप्तान बदले, कई खिलाड़ी बदले और करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए, लेकिन मैदान पर उसका प्रदर्शन नहीं सुधरा। 23 अप्रैल 2014 को फिर से बारी थी मुंबई इंडियंस के खिलाफ मुकाबले की और दिल्ली ने शानदार प्रदर्शन से ये तो बता दिया कि अपने घर में जीतना वह भूले नहीं हैं, लेकिन क्या दिल्ली की समस्याओं का अंत हो गया है? शायद ये कहना अभी भी जल्दबाज़ी होगी।

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दिल्ली की टीम इस वक्त काफी हद तक दो द.अफ्रीकी खिलाड़ी जेपी ड्युमिनी और इमरान ताहिर पर टिकी हुई है। ड्युमिनी ने अभी तक छह मैचों में 207 रन बनाए हैं और सात विकेट भी चटकाए हैं तो इमरान ताहिर के नाम 13 विकेट हैं, लेकिन दिल्ली की टीम को इन दोनों के अलावा भारतीय खिलाड़ियों से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद होगी, हालांकि अभी युवा श्रेयस अय्यर ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। मगर युवराज, मनोज तिवारी और केदार जाधव का बल्ला अगर नहीं चला तो फिर इस टीम का आगे जाना मुश्किल नज़र आ रहा है।