दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख को लिया आड़े हाथों, कहा- पहले खुद 10 बच्चे पैदा करें

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख को लिया आड़े हाथों, कहा- पहले खुद 10 बच्चे पैदा करें

गोवा में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

खास बातें

  • आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुओं को दी थी जनसंख्या बढ़ाने की सलाह
  • मुस्लिम आबादी के बढ़ने पर भागवत ने दिया था ये बयान
  • भागवत के बयान पर केजरीवाल ने दी अपनी सलाह
नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि हिंदुओं की भावनाओं को भड़काने से पहले भागवत जी को खुद 10 बच्चे पैदा करके उनकी अच्छी परवरिश करके दिखाना चाहिए।

 


उल्लेखनीय है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुओं से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की थी। आगरा में शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा था कि दूसरे धर्म वाले जब इतने बच्चे पैदा कर रहे हैं तो क्या आपको किसी कानून ने रोक रखा है। भागवत आगरा में विश्वविद्यालय व् महाविद्यालय शिक्षक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। संबोधन के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि आप लोग कह रहे है कि ‘उनकी’ जनसंख्या बढ़ रही है इस पर उन्होंने कहा कि हिंदुओं को किसने रोका है।  ('राष्ट्रवाद' पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दो टूक)

बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ शिवसेना की रिश्तों में खटास दिखने लगी है। पार्टी ने अपने मुखपत्र 'सामना' के ज़रिये सीधे संघप्रमुख, यानी सरसंघचालक मोहन भागवत पर निशाना साधा.

'सामना' ने अपने संपादकीय में लिखा है, "सरसंघचालक मोहन भागवत ने पुराने और दकियानूसी विचार को नए रूप में प्रस्तुत किया. मुखपत्र में आगे लिखा गया है, "मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या चिंताजनक है, लेकिन हिन्दुओं को भी बच्चे नहीं बढ़ाने चाहिए, यही विचार देशहित में है... हिन्दू अगर अधिक बच्चों को जन्म देंगे तो पहले ही खस्ताहाल में जीने वाले लोग बेरोज़गारी, भूख, महंगाई की समस्या से और परेशान होंगे..."

जानकारी दे दें कि कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद ने भी भागवत के बयान की निंदा की है। भागवत के मुसलमानों की जनसंख्या दर ज्यादा होने संबंधी एक बयान के बारे में पूछे गये सवाल पर आजाद ने कहा, ''वह (भागवत) धर्म की ही खाते हैं...वह और क्या बात करेंगे। वह रोजगार की बात करते, महंगाई की बात करते.. मगर वह ऐसा नहीं करते।'' उन्होंने कहा कि भागवत अपनी हर बात और हर शब्द में तोड़ने की ही बात करते हैं।

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