खास बातें
- प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने कहा है कि दिसंबर 16 की सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद जनाक्रोश भड़कना न्यायोचित और आवश्यक था।
नई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने कहा है कि दिसंबर 16 की सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद जनाक्रोश भड़कना न्यायोचित और आवश्यक था।
दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले की सुनवाई की कार्यवाही फास्ट ट्रैक अदालत में बंद कमरे में होगी। फास्ट ट्रैक अदालत ने इसके साथ ही पांचों आरोपियों के खिलाफ 24 जनवरी से आरेाप तय करने पर जिरह सुनने का फैसला भी किया।
मजिस्ट्रेट के पिछले आदेश को सही ठहराते हुए विशेष फास्ट ट्रैक अदालत के न्यायाधीश ने कहा, ‘जो लोग मामले से संबंधित हैं, केवल वही अदालत कक्ष में मौजूद रहेंगे। बाकी लोगों को तत्काल अदालत को खाली कर देना चाहिए।’
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने 24 जनवरी को पांचों आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए होने वाली बहस को बंद कमरे में संचालित करने का फैसला भी किया। मजिस्ट्रेटी अदालत ने इस मामले में प्रक्रियागत औपचारिकताएं पूरी करने के बाद न्यायिक रिकार्ड को सत्र अदालत को भेज दिया है।
मामले की सार्वजनिक सुनवाई को प्रतिबंधित करने वाले एक कानूनी प्रावधान को लागू करते हुए विशेष न्यायाधीश ने कहा, ‘आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 327 (2) के तहत कार्यवाही बंद कमरे में हेागी और धारा 327 (3) किसी भी कार्यवाही का प्रकाशन और मुद्रण करने से रोकती है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किए गए आदेश को सही ठहराता हूं।’