यह ख़बर 13 मार्च, 2014 को प्रकाशित हुई थी

दिल्ली गैंगरेप : हाईकोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी की सजा की पुष्टि की

दिल्ली गैंगरेप को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ था

नई दिल्ली:

दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 को चलती बस में पैरामेडिकल छात्रा के साथ हुए गैंगरेप मामले में दिल्ली हाइकोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी की सजा की पुष्टि कर दी है।

न्यायाधीश रेवा खेत्रपाल और न्यायाधीश प्रतिभा रानी ने अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश की सजा की पुष्टि करते हुए कहा कि उनका अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है और उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा जाता है। पीठ ने कहा, मौत की सजा स्वीकृत है। निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा की पुष्टि की जाती है। दोषियों की अपीलों को खारिज किया जाता है।

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अपना फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि-
−इस जुर्म को बिना शक बेहद बर्बर घृणित क्रूर और राक्षसी ढंग से अंजाम दिया गया
−जिस तरह जुर्म किया गया उसमें परले दर्जे की विकृति और जघन्य दुराचार दिखते हैं
−मेडिकल सबूत बताते हैं कि मौत से पहले पीड़िता को कैसी नारकीय यातना झेलनी पड़ी
−इस अफ़सोसनाक मामले की गूंज अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंची
−अगर ये जघन्यतम जुर्म नहीं है तो फिर और क्या होगा

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इस मामले में पिछले साल सितंबर में साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चार दोषियों - मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को फांसी की सजा सुनाई थी। मामले के मुख्य आरोपी बस ड्राइवर राम सिंह ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी। एक नाबालिग दोषी को जुवेनाइल बोर्ड ने तीन साल सुधार गृह में रखने का फैसला सुनाया था।

उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर 2012 की रात को लड़की के साथ छह लोगों ने चलती बस में उसके साथ निर्मम तरीके से सामूहिक बलात्कार और क्रूरतापूर्वक उत्पीड़न किया था। इसके बाद पीड़िता और उसके एक पुरुष मित्र को जख्मी हालत में सड़क के किनारे फेंक दिया गया था। बलात्कारियों में से एक किशोर था, इसलिए उसके खिलाफ सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में की गई। बोर्ड ने उसे तीन साल के लिए सुधार गृह में भेज दिया था।

पीड़िता की मौत के पांच दिन बाद पुलिस ने पांच व्यस्क आरोपियों के खिलाफ बलात्कार, हत्या, अपहरण और सबूत मिटाने के आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कर लिया था। एक आरोपी राम सिंह 11 मार्च को तिहाड़ जेल में मरा हुआ पाया गया था और उसके खिलाफ मामला बंद कर दिया गया है। चार वयस्क आरोपियों अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश पर फास्ट ट्रैक अदालत में मुकदमा चलाया गया था। इस घटना ने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था और इसे लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे।

(इनपुट भाषा से भी)

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