यह ख़बर 03 जनवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

16/12 दुष्कर्म पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा

गैंगरेप में इस्तेमाल बस का फाइल फोटो

नई दिल्ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक वर्ष पूर्व 16 दिसंबर को दिल्ली में चलती बस में एक प्रशिक्षु फीजियोथेरेपिस्ट के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सुनाए गए मृत्युदंड और चार आरोपियों की अपील पर शुक्रवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।

न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल एवं न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी की खंडपीठ ने अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

अदालत ने बचाव पक्ष के वकीलों से 15 जनवरी तक अपनी लिखित दलीलें पेश करने के लिए भी कहा।

23 वर्षीया प्रशिक्षु फीजियोथेरेपिस्ट के साथ चलती बस में हुए सामूहिक दुष्कर्म और क्रूरतापूर्ण यौन प्रताड़ना में छह लोगों की संलिप्तता पाई गई थी, जिसमें से एक आरोपी ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली और एक आरोपी को स्कूली प्रमाणपत्र के आधार पर नाबालिग मानते हुए उसे तीन साल किशोर सुधार-गृह में रहने की सजा दी गई है।

निजी बस मुनिरका बस स्टैंड से चली थी और क्रूरतापूर्ण यौन प्रताड़ना के बाद आरोपियों ने पीड़िता और उसके पुरुष मित्र को वसंत विहार थाना क्षेत्र के महिपालपुर में सड़क के किनारे दिसंबर की सर्द रात में निर्वस्त्र हालत में फेंक दिया था।

पुलिस ने पीड़िता को सफदर जंग अस्पताल में भर्ती कराया। उसकी आंत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। उसे विशेष इलाज के लिए विमान से सिंगापुर के माउंट एलीजाबेथ अस्पताल ले जाया गया, जहां 29 दिसंबर 2012 को घटना के 13वें दिन उसकी मौत हो गई।

दक्षिणी दिल्ली के साकेत स्थित त्वरित अदालत ने पिछले वर्ष 13 सितंबर को आरोपी मुकेश (26), अक्षय ठाकुर (28), पवन गुप्ता (19) और विनय शर्मा (20) को फांसी की सजा सुनाई।

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निचली अदालत ने सुनाई गई सजा की पुष्टि के लिए मामले को उच्च न्यायालय में भेज दिया। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र पिछले वर्ष 3 जनवरी को दाखिल किया था।