अगर दिल्‍ली पुलिस 'आप सरकार' के अधीन आई, तो इतिहास का 'सबसे दुर्भाग्‍यपूर्ण' दिन होगा : बस्‍सी

अगर दिल्‍ली पुलिस 'आप सरकार' के अधीन आई, तो इतिहास का 'सबसे दुर्भाग्‍यपूर्ण' दिन होगा : बस्‍सी

बीएस बस्‍सी का फाइल फोटो...

नई दिल्‍ली:

दिल्ली पुलिस प्रमुख बीएस बस्सी ने अरविंद केजरीवाल सरकार के साथ जारी अपने टकराव के बीच दिए एक बेहद कड़े बयान में आज कहा कि अगर दिल्ली पुलिस इस शहर की सरकार के हाथों में आ जाए तो वह राजधानी दिल्ली के इतिहास का 'सबसे दुर्भाग्यपूर्ण' दिन होगा और वह केंद्र के अधीन 'एकदम सही' काम कर रही है।

बस्सी ने कहा, 'वह दिल्ली के इतिहास का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन होगा। दिल्ली के एक नागरिक के तौर पर मैं यह कह सकता हूं कि वह दिल्ली का दुर्भाग्य होगा। उन्हें (आप) को एक राजनीतिक मांग करने का अधिकार है। यह राजनीतिक रूख है। दिल्ली के एक नागरिक के तौर पर मुझे यह कहने का अधिकार है कि यह दिल्ली के नागरिकों के लिए सही नहीं है।'

उन्होंने इस बिंदु को उचित ठहराते हुए कहा कि वर्तमान व्यवस्था के तहत दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है, उसे किसी 'स्थानीय निहित स्वार्थ' का सामना नहीं करना पड़ता, क्योंकि प्रधानमंत्री या गृह मंत्री का यहां पर कोई स्वार्थ नहीं है।

बस्सी ने कहा, 'वर्तमान व्यवस्था सर्वश्रेष्ठ है। किसी भी प्रधानमंत्री का दिल्ली में कोई निहित स्वार्थ नहीं, जब तक कि वह दिल्ली के ना हों। मैंने अपने करियर में ऐसा कोई प्रधानमंत्री नहीं देखा, जिसकी दिल्ली में कोई स्थानीय रूचि हो।'

उन्होंने कहा, 'प्रत्येक प्रधानमंत्री दिल्ली का विकास चाहता है, लेकिन उसका कोई स्थानीय निहित स्वार्थ नहीं होता। आमतौर पर किसी गृह मंत्री का भी दिल्ली में कोई स्थानीय निहित स्वार्थ नहीं होता।'

बस्सी ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में कोई भी फेरबदल राजधानी दिल्ली के निवासियों के साथ ‘अन्याय’ होगा क्योंकि वर्तमान में दिल्ली पुलिस को ‘उचित स्वायत्तता’ है। उन्होंने कहा, ‘कोई भी फेरबदल दिल्ली के लोगों के साथ अन्याय होगा क्योंकि इससे पुलिस मजबूत नहीं होगी बल्कि कमजोर होगी। यदि आप फेरबदल करते हैं और उसे शहर की सरकार के अधीन कर देते हैं तो स्थानीय निहित स्वार्थ काम करने लगेंगे। मैंने गोवा, पांडिचेरी में काम किया है और उसके आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि यदि इसे शहर की सरकार के अधीन लाया जाता है, स्थानीय निहित स्वार्थ काम करने लगेंगे।’

'आप' सरकार के पूर्ण राज्य के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने पर विचार करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह कदम ‘असंवैधानिक’ होगा। उन्होंने कहा, ‘भारतीय संविधान के तहत कोई भी जनमत संग्रह असंवैधानिक है। वर्तमान भारतीय संविधान किसी जनमत संग्रह की अनुमति नहीं देता और जब तक कि संविधान में कोई संशोधन नहीं होता इसकी अनुमति नहीं होगी। यह असंवैधानिक कृत्य होगा।’ बस्सी ने 'आप' के वरिष्ठ नेता आशुतोष के इस बयान को पूरी तरह से खारिज कर दिया कि वह ‘एक बहुत ही प्रभावशाली कैबिनेट मंत्री या प्रधानमंत्री के बहुत करीबी किसी अधिकारी’ के निर्देश पर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘आशुतोष के दावे गलत हैं। यह (जितेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी) जांच अधिकारी का बहुत ही वैध निर्णय था। किसी को भी ऐसा लगता है तो वह बिल्कुल गलत है। न ही पूर्ववर्ती सरकार और न ही वर्तमान सरकार ने मुझे कुछ भी गलत करने के लिए कहा है।’ उन्होंने कहा कि वर्तमान गतिरोध के चलते कोई ‘संवैधानिक व्यवधान’ आने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि यह ‘एक बहुत ही छोटा तूफान है जो गुजर जाएगा।’

बस्सी ने 'आप' सरकार की ओर से जारी श्रृंखलाबद्ध विज्ञापनों का उल्लेख किया जिसमें से कुछ में दिल्ली पुलिस को भी निशाना बनाया गया है और कहा, ‘वर्तमान में लोग सच्चाई समझते हैं और राजनीतिक मुद्राओं को समझ सकते हैं। उनकी (जनता की) समस्या रोजी-रोटी है इसलिए ये मुद्दे उनके लिए मनोरंजन की तरह हैं।’

2013 में दिल्ली पुलिस के प्रमुख बनने वाले बस्सी ने कहा कि उन्होंने इन मुद्दों पर मीडिया से बात करने का निर्णय इसलिए किया ताकि वह लोगों को ‘शिक्षित’ कर सकें क्योंकि उनके पास ‘जनता को विज्ञापनों के जरिये शिक्षित करने के लिए संसाधन नहीं।’ उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं कि वह 'आप' के खिलाफ हों। उन्होंने साथ ही सत्ताधारी पार्टी को सलाह दी कि वह इसकी बजाय शहर की शिक्षा और स्वास्थ्य ढांचे को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करे।

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उन्होंने कहा, ‘सरकार के पास इस क्षेत्र में काम करने के लिए बहुत कुछ है। उनके पास स्कूली आधारभूत ढांचे में सुधार के लिए काफी कुछ करने को है, एमसीडी स्कूलों को छोड़ दीजिये जिनकी हालत खस्ताहाल है। इसके साथ ही स्वास्थ्य भी जहां क्लीनिकों में चिकित्सक नही हैं। दिल्ली में एंबुलेंस सेवा नहीं इसलिए हम इस मामले में अपनी पीसीआर सेवा से काम कर रहे हैं और हम यह आगे भी करते रहेंगे।’ बस्सी ने दावा किया कि इस गतिरोध से लोगों के बीच कोई नकारात्मक संदेश नहीं जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘मैंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस पर एक सेकंड भी बेकार नहीं करें। हमारा कार्य इस आलोचना के बीच ही सुधरेगा क्योंकि आलोचना की कमी से संतोष का भाव आ जाता है। इससे ऐसी स्थिति बन रही है जब हम लापरवाह नहीं हो सकते।’