यह ख़बर 19 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

प्रियदर्शन की बात पते की : लोकतंत्र, आज़ादी और स्कॉटलैंड

नई दिल्ली:

ब्रिटिश सीक्रेट एजेंट 007 जेम्स बॉन्ड स्कॉटलैंड की आज़ादी के हक़ में रहा- जेम्स बॉन्ड यानी कि शॉन कॉनरी। हालांकि अपनी वजहों से वह प्रचार की इस लड़ाई से दूर रहे। वैसे जासूस जो चाहता था वह जादूगरनी नहीं चाहती थी। हैरी पॉटर और उसके साथ एक पूरी जादुई दुनिया रचने वाली जेके रॉलिंग रहती एडेनबरा में हैं, लेकिन चाहती हैं कि लंदन उनकी राजधानी बना रहे।

टेनिस का जादूगर ऐेंडी मरे बहुत देर तक सोचता रहा कि वह अलग स्कॉटलैंड के साथ खड़ा हो या ग्रेट ब्रिटेन का समर्थन करे। बिल्कुल आख़िरी में उसने अपना शॉट खेला और पाया कि वह गलत कोर्ट में खड़ा है। उसने आज़ादी का समर्थन किया, लेकिन आधे से ज्यादा स्कॉटलैंड को लगा कि ये आज़ादी उसके लिए जरूरी नहीं।
 
स्कॉटलैंड की आज़ादी के सवाल पर जिन लोगों ने ये मतदान और इसके नतीजे देखे हैं,  शायद उन्हें एहसास नहीं कि वह कितने बड़े ऐतिहासिक बदलाव के गवाह बने हैं। हजारों बरस की इंसानी सभ्यता में मुल्क तलवार की धार पर बनते और मिटते रहे हैं। बंदूकों, राइफलों और बमों से दुनिया के नक्शे में नई लकीरें खींची जाती रही हैं।

मुल्कों की पैदाइश या मौत ऐसी तकलीफदेह दास्तानें रही हैं, जिनमें बहुत खून बहता है, बहुत नफ़रत निकलती है और ढेर सारा ज़ख्म सदियों तक बचा रहता है। ऐसी मिसालें दुनिया में कम मिलती हैं जब आपसी सोच−विचार और भरोसे से मुल्क अलग या आज़ाद हुए हों।

बीसवीं सदी में एक महात्मा की अगुवाई में ये जादू भारत ने दिखाया था, जब हमने अहिंसा के बूते अंग्रेज़ों से आज़ादी हासिल की। हालांकि इस जादू के साथ मुल्क के बंटवारे का जो ज़ख्म मिला वह आज तक कायम है। हिंदुस्तान और पाकिस्तान आज की तारीख़ में दो ऐसे घायल मुल्क हैं, जो एक−दूसरे से शिकायत− सियासत, मोहब्बत- नफ़रत सब एक साथ करते दिखाई पड़ते हैं।

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इन हालात में स्कॉटलैंड की आज़ादी पर हुई रायशुमारी ने इक्कीसवीं सदी में उस बालिग होती इंसानियत का जज़्बा दिखाया है, जो न राष्ट्रवाद के उफान में फंसती है और न नकली देशभक्ति का शोर मचाती है। अगर ये रायशुमारी न होती तो स्कॉटलैंड में आज़ादी चाहने वालों के भीतर ये शिकायत बड़ी हो रही होती कि ग्रेट ब्रिटेन उसके साथ नाइंसाफ़ी कर रहा है। लेकिन स्कॉटलैंड का फ़ैसला उसकी जनता ने किया है और शासकों ने उसे मंज़ूर किया है। लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के इतिहास में ये एक बड़ी छलांग है।