समान नागरिक संहिता पर सरकार की पहल के बाद छिड़ी बहस

समान नागरिक संहिता पर सरकार की पहल के बाद छिड़ी बहस

प्रतीकात्मक फोटो

खास बातें

  • देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान क़ानून
  • कांग्रेस समेत कई मुस्लिम संगठनों ने उठाए मंशा पर सवाल
  • अभी हिन्दू-मुसलमान के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ
नई दिल्ली:

समान नागरिक संहिता यानी सबके लिए एक जैसे कानून पर क़ानून मंत्रालय के रिपोर्ट मांगने के बाद इस पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। जहां बीजेपी समेत कई राजनीतिक दलों ने मोदी सरकार की इस पहल का स्वागत किया है, वहीं कांग्रेस समेत कई मुस्लिम संगठनों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस यूपी चुनावों से पहले इसे ध्रुवीकरण की कोशिश बता रही है जबकि सरकार की दलील है कि संविधान के 44वें अनुच्छेद में सबके लिए एक जैसे क़ानून की बात की गई है और इसे आम राय से लागू करना चाहिए।

क्या है यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड

  • देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान क़ानून
  • यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लागू करना राज्य की ड्यूटी: अनुच्छेद 44
  • अभी हिन्दू-मुसलमान के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ
  • प्रॉपर्टी, शादी, तलाक़ के लिए अलग-अलग क़ानून
  • बीजेपी हमेशा से समर्थन में, कांग्रेस विरोध में

अलग-अलग मौकों पर केंद्र सरकार और उसकी नीतियों का विरोध करने वाली शिवसेना ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सरकार का समर्थन किया है। प्रधानमंत्री की पहल का स्वागत करते हुए शिवसेना ने कहा कि यह कानून बहुत पहले ही देश में लागू हो जाना चाहिए था। ज़ाहिर है अपनी सहयोगी शिवसेना के इस रुख़ से मोदी सरकार को राहत मिली होगी।

सरकार का कहना है कि संविधान के 44वें अनुच्छेद में सबके लिए एक जैसे क़ानून की बात की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों कहा
  • यह देखना होगा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में किस हद तक दख़ल की ज़रूरत है
  • क्या उसमें ऐसे क़ायदे हैं जो मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं?
  • यह गंभीर मामला है ज़रूरत पड़ी तो बड़ी बेंच को भेजेंगे

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