यह ख़बर 12 अगस्त, 2013 को प्रकाशित हुई थी

आरटीआई कानून में बदलावों को संसद ने दी मंजूरी, कार्यकर्ता जाएंगे अदालत

खास बातें

  • सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) को सशक्त बनाने के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं ने कहा कि यदि संसद ने पारदर्शिता कानून में राजनीतिक दलों को छूट प्रदान करने पर केंद्रित बदलावों को मंजूरी दी तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
नई दिल्ली:

सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) को सशक्त बनाने के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं ने कहा कि यदि संसद ने पारदर्शिता कानून में राजनीतिक दलों को छूट प्रदान करने पर केंद्रित बदलावों को मंजूरी दी तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे से बाहर रखने और इस संबंध में केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को बेअसर करने के लिए लोकसभा में एक विधेयक पेश किया गया।

एक्सेस टू इन्फॉर्मेशन प्रोग्राम, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) के समन्वयक वेंकटेश नायक ने कहा, ‘यदि संसद ने प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी दी तो आरटीआई कानून के लिए काम कर रहे बहुत से कार्यकर्ता और गैर सरकारी संगठन अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।’ उन्होंने कहा कि पहली नजर में संशोधन विधेयक आरटीआई कानून के दायरे से केवल राजनीतिक दलों को बाहर निकालने की बात कहता है और यदि यह इस स्वरूप में लागू हुआ तो इसका व्यापक प्रभाव होगा। ‘इस तरह यह सीआईसी के जून 2013 के आदेश को बेअसर करेगा जिसमें छह राजनीतिक दलों... भाजपा, बसपा, राकांपा, भाकपा और माकपा को सार्वजनिक अभिकरण घोषित किया गया था।’

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एक अन्य कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने आरोप लगाया कि सरकार आरटीआई कानून में संशोधन कर प्रशासन में पारदर्शिता को अवरुद्ध करने की कोशिश कर रही है।