यह ख़बर 05 मार्च, 2011 को प्रकाशित हुई थी

डीएमके के हटने से बहुमत नहीं खोएगा यूपीए

खास बातें

  • डीएमके के पास लोकसभा के 18 सदस्य हैं। वह कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बाद संप्रग की तीसरा सबसे बड़ा घटक है।
नई दिल्ली:

डीएमके के सरकार से समर्थन लेने पर भी केंद्र में सत्तारूढ़ संप्रग पर बहुमत खोने का खतरा नहीं होगा। डीएमके के पास लोकसभा के 18 सदस्य हैं। वह कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बाद संप्रग की तीसरा सबसे बड़ा घटक है। कांग्रेस के लोकसभा में 207 जबकि तृणमूल कांग्रेस के 19 सांसद हैं। यूपीए के अन्य घटकों में राकांपा के पास नौ सांसद, नेशनल कान्फ्रेंस के पास तीन, आईयूएमएल के पास दो तथा जेवीएम और वीसीके के क्रमश: एक-एक सांसद हैं। डीएमके के 18 सांसदों के बिना भी यूपीए की ताकत 260 से घटकर 242 सांसद हो जाएगी जबकि 543 सदस्यीय लोकसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा 272 है। कांग्रेसनीत गठबंधन के पास समाजवादी पार्टी और बसपा जैसे दलों का बाहर से समर्थन प्राप्त है। सपा के पास 22 सांसद और बसपा के पास 21 सांसद हैं। जयाप्रदा सपा की निष्कासित सदस्य हैं और उन्हें यूपीए का समर्थक माना जाता है। इसके अलावा, चार सांसदों के साथ राजद, तीन सांसदों के साथ जनता दल (सेक्युलर) भी यूपीए को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। डीएमके को छोड़कर बाहर से समर्थन देने वाले इन दलों के साथ कांग्रेसनीत यूपीए के पास सांसदों की संख्या 311 हो जाती है जो बहुमत के जादुई आंकड़े 272 से बहुत अधिक है। डीएमके वर्ष 2004 से ही कांग्रेसनीत गठबंधन के साथ ही है और यह केंद्र में सत्ताधरी पार्टी का भरोसेमंद सहयोगी है।


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