यह ख़बर 24 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

डीएमके मंत्रियों के लिए नहीं देगा नाम, समर्थन जारी

खास बातें

  • डीएमके ने स्पष्ट कर दिया कि वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में रिक्त दो स्थानों के लिए पार्टी प्रतिनिधियों को नामित नहीं करेगी।
कोयम्बटूर:

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने अपनी दो दिनों की कार्यकारी एवं महापरिषद की बैठक की समाप्ति के बाद रविवार को स्पष्ट कर दिया कि वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में रिक्त दो स्थानों के लिए पार्टी प्रतिनिधियों को नामित नहीं करेगी। पार्टी ने यह भी कहा कि कांग्रेस के साथ उसका गठबंधन जारी रहेगा। पार्टी की दो दिनों की कार्यकारी एवं महापरिषद की बैठक की समाप्ति के बाद करुणानिधि ने पत्रकारों से कहा कि पार्टी इस्तीफे देने से रिक्त हुए दो स्थानों के लिए अपने सदस्यों का नाम नहीं देगी और यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। ज्ञात हो कि 2जी स्पेक्ट्रम मामले में पार्टी के केंद्रीय मंत्रियों पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा और पूर्व केंद्रीय कपड़ा मंत्री दयानिधि मारन को इस्तीफा देना पड़ा। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में सहयोगी डीएमके के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल में दो स्थान रिक्त रखा गया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन जारी रहेगा। करुणानिधि ने रविवार को कार्यकारी परिषद और रविवार को महापरिषद की बैठक की अध्यक्षता की। एक दिन पूर्व शनिवार की बैठक में करुणानिधि के दोनों पुत्रों- एम.के. अझागिरि और एम.के. स्टालिन के बीच प्रतिद्वंद्विता खुलकर सामने आ गई थी। स्टालिन के समर्थक चाह रहे थे कि उनके नेता का कद बढ़ाया जाए, जिसका अझागिरि के समर्थकों ने खुलकर विरोध किया। अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी महापरिषद की रविवार को हुई पहली बैठक में 25 प्रस्ताव पारित किए गए। बैठक में हालांकि कांग्रेस के साथ पार्टी के सम्बंध या पूर्व संचार मंत्री ए.राजा एवं पूर्व कपड़ा मंत्री दयानिधि मारन के इस्तीफे से केंद्रीय मंत्रिमंडल में रिक्त पदों के लिए डीएमके के प्रतिनिधियों को भेजने जैसे मुद्दे पर किसी ने भी चर्चा नहीं की। पार्टी नेतृत्व ने पहले कहा था कि इन मुद्दों पर चर्चा और फैसला महापरिषद लेगी। इसी तरह, पार्टी ने करुणानिधि के उत्तराधिकारी के मुद्दे पर चुभन महसूस की। इस सम्बंध में दो प्रस्ताव रखे गए जिनमें करुणानिधि को द्रविड़ आंदोलन का अत्यंत महत्वपूर्ण नेता बताते हुए कहा गया कि भविष्य में तमिलनाडु का नेतृत्व करने के लिए उन्हें पद पर बने रहना चाहिए। महापरिषद में पारित प्रस्तावों में से एक में करुणानिधि की बेटी और डीएमके सांसद कनिमोई की जमानत का विरोध करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की आलोचना की गई। कनिमोई 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सह-षड्यंत्रकारी के रूप में तिहाड़ जेल में बंद हैं। सीबीआई पर कनिमोई के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए डीएमके ने कहा कि उन्हें लंबे समय तक जेल में रखना स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध है। एक अन्य प्रस्ताव में उम्मीद जताई गई कि राजा और मारन दोनों बेदाग साबित होकर जेल से बाहर आएंगे। श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर डीएमके ने कहा कि तमिलों को बराबर का अधिकार दिलाने के लिए जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए और भारत सरकार को युद्ध अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए कदम उठाना चाहिए। पार्टी ने केंद्र सरकार का आह्वान किया कि वह सेतु नहर परियोजना को जल्द लागू करे। प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के सम्बंध में पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री के पद को भ्रष्टाचार निरोधक कानून के दायरे में लाया जना चाहिए। बैठक में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) सरकार द्वारा दायर भूमि घोटाले के मामलों पर भी चर्चा की गई और प्रस्ताव पारित किया गया। पार्टी सूत्रों ने कहा कि स्कूली विद्यार्थियों के लिए समान पाठ्यक्रम के क्रियान्वयन, पार्टी सदस्यों के खिलाफ दायर भूमि हड़पने सम्बंधी मामलों से निपटने के तरीके जैसे कई अन्य मुद्दों पर भी प्रस्ताव पारित किए गए। ज्ञात हो कि दो दिवसीय विचार मंथन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए करुणानिधि ने शनिवार को परिषद के कार्यकारी सदस्यों से कहा था कि किसी भी व्यक्ति द्वारा पार्टी को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता और यह दोबार राज्य में सत्ता में लौटेगी। पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि कई नेताओं ने कांग्रेस के साथ गठबंधन जारी रखने को लेकर विरोध जाहिर किया, लेकिन वरिष्ठ नेता दुरई मुरुगन ने कहा कि वक्तागण इस मुद्दे पर भावुक हो रहे हैं। मुरुगन ने कहा कि गठबंधन का निर्णय रणनीतिक मुद्दा है, न कि भावनात्मक मुद्दा। डीएमके ने पार्टी संगठन को नया स्वरूप देने के लिए सात सदस्यीय समिति गठित करने का भी निर्णय लिया।  


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