एस्सार फ़ोन टैपिंग मामले में मुंबई पुलिस की भूमिका संदिग्ध? गृह मंत्रालय कर रहा है जांच

एस्सार फ़ोन टैपिंग मामले में मुंबई पुलिस की भूमिका संदिग्ध? गृह मंत्रालय कर रहा है जांच

प्रतीकात्मक फोटो

खास बातें

  • हो सकता है कि मुंबई पुलिस ने अपने नेटवर्क के ज़रिए मदद की हो
  • कारोबारी प्रतिद्वंद्वी समर्थन के लिए संपर्क करते हैं
  • कंपनी का अनधिकृत फोन टैपिंग से साफ इनकार
नई दिल्ली:

क्या एस्सार फ़ोन टैपिंग मामले में मुंबई पुलिस ने अल बासित खान की मदद की थी? केंद्र सरकार इसी तरफ़ इशारा कर रही है। एनडीटीवी इंडिया को मिली हुई जानकारी के मुताबिक़ पीएमओ ने जो शिकायत केंद्रिय गृह मंत्रालय को भेजी है वो अभी गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पास पड़ी है।

एक केंद्रीय मंत्री ने बताया, "इस पर चर्चा हो रही है, लेकिन लग रहा है कि जांच अंदरूनी ही की जाएगी।" उनके मुताबिक़ ऐसा भी हो सकता है कि मुंबई पुलिस ने अपने नेटवर्क के ज़रिए बासित खान की मदद की हो, इल्लीगल टैपिंग करने के लिए।

माना जा रहा है कि आईबी को इस मामले की जांच सौंपी जाएगी क्योंकि सरकार किसी एजेंसी को इस मामले की जांच देने के हक़ में नहीं है। एक सीनियर अफ़सर की राय थी, "मामला बेहद संवेदनशील है। इसीलिए पहले सरकार अंदरूनी जांच करवाएगी।"

गृह मंत्रालय को जो पीएमओ से शिकायत मिली उसमें मुकेश और अनिल अंबानी की दो कंपनियों के निदेशकों-प्रमोटरों तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कथित बातचीत का ब्योरा शामिल है। इसमें वो बातचीत भी शामिल है जो दिखाती है कि कारोबारी प्रतिद्वंद्वी राजनेताओं से किस तरह अपने पक्ष में समर्थन के लिए संपर्क करते हैं।

शिकायत में वाजपेयी के समय प्रधानमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा और तत्कालीन प्रधानमंत्री के दामाद रंजन भट्टाचार्य की कथित बातचीत का भी उल्लेख है। जिन अधिकारियों के फोन कथित तौर पर टैप कराये गए, उनमें वर्तमान गृह सचिव राजीव महर्षि का नाम भी आया है जो उस समय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में पदस्थ थे।

एस्सार ने अपनी ओर से पहले ही साफ कर दिया है कि कंपनी किसी भी प्रकार से अनधिकृत फोन टैपिंग में लिप्त रही है।


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