Exclusive : घाटी में बाढ़ के बाद आतंकवादियों भर्ती में इजाफा, गृहमंत्रालय चिंतित

नई दिल्ली:

घाटी में आतंकवादी तंज़ीमों में नई भर्तियां हो रही हैं। हिजबुल मुजाहिदीन को वह उम्मीदवार चाहिए, जो सुरक्षाबलों से हथियार लेकर उन तक पहुंच सके,  तो वहीं लश्कर को पढ़े लिखे नौजवान चाहिए।

इन नई भर्तियों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय काफी चिंतित है। राज्य से जो रिपोर्ट मंत्रालय पहुंची है, उसके मुताबिक घाटी में आए सैलाब के बाद ये भर्तियां बढ़ गई हैं।

जो नौजवान अलग-अलग तंज़ीमों से जुड़े हैं, वे ज़ादा त्राल, बिझभेरा, शोपियां और कुलगाम के हैं। गृह मंत्रालय के सीनियर अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि अभी तक तीन दर्जन से ज्यादा लोग घर छोड़ जा चुके हैं और सब दक्षिण कश्मीर के हैं। दरअसल, सैलाब का सबसे ज्यादा असर इसी इलाके में हुआ था।

गृह मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, अभी पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के मंत्री का एक पीएसओ अपने हथियार के साथ भाग गया। जब तफ्तीश की गई तब पता चला वह न सिर्फ अपना हथियार लेकर बल्कि अपने साथी का हथियार लेकर भाग निकला और जाकर हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ गया। यह काफी चिंता की बात है, क्योंकि न सिर्फ एक कांस्टेबल गया, बल्कि दो पुलिस के हथियार भी वह अपने साथ ले गया।

हिजबुल के सरगना स्येद सलाहुद्दीन का बयान उसके बाद आया कि वह चाहता है कि सुरक्षाबलों से ज्यादा से ज्यादा नौजवान उसकी तंज़ीम से जुड़ें। इसके साथ ही यह भी सामने आया कि पढ़े-लिखे लड़के लश्कर से जुड़ रहे है। न सिर्फ ये पढ़े-लिखे नौजवानों को बल्कि परिवारवालों को भी अपनी और खींच रहे हैं।

दरअसल, उन नौजवानों को टारगेट किया जाता है, जो प्रशासन के खिलाफ होते हैं या फिर जिनके खिलाफ कोई मामला चल रहा हो, क्योंकि ऐसे में ये तंज़ीमें उन्हें शरण देने के बहाने अपनी और खींच लेती हैं।

2014 में जहां सिर्फ 65 लोग अलग-अलग तंज़ीमों से जुड़े थे, वहां इस साल अभी तक पहले तीन महीनों में यह आंकड़ा 36 तक पहुंच गया है।

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राज्य के एक पुलिस अफसर ने कबूल किया कि पाकिस्तान की ओर से आतंकवादी तंज़ीमों पर दबाब है कि वे अपनी गतिविधियां घाटी में तेज़ करें और क्योंकि घुसपैठ में ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पा रही है इसीलिए अब जोर लोकल भारतीयों पर है। जब कार्रवाई करने के लिए तंज़ीमों के पास कोई नहीं होता तब वे इन नए-नए लड़कों का इस्तेमाल करते है और क्योंकि पुलिस के पास उनका कोई रिकॉर्ड नहीं होता इसीलिए वह पकड़े भी नहीं जाते।