यह ख़बर 11 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

सचिन तेंदुलकर की अनुपस्थिति पर राज्यसभा में जताया गया विरोध

नई दिल्ली:

महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की राज्यसभा में लंबी अनुपस्थिति पर कांग्रेस, सपा सहित विभिन्न दलों ने आज भी भारी विरोध जताते हुए इसे ‘संसद एवं देश का अपमान’ बताया जबकि उच्च सदन ने क्रिकेटर एवं मनोनीत सदस्य को इस पूरे सत्र के लिए अनुपस्थित रहने की अनुमति दे दी।

उपसभापति पीजे कुरियन ने सदन को अवगत कराया कि उन्हें तेंदुलकर का एक पत्र मिला है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह अपनी व्यक्तिगत एवं पेशेगत प्रतिबद्धताओं तथा पारिवारिक अनिवार्यताओं के कारण पूरे सत्र में सदन में नहीं आ पाएंगे। उन्हें इसके लिए अनुमति दी जाए।

इसी दौरान, सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि गत शुक्रवार को भी सदन में यही मुद्दा उठा था। सदन को सूचित किया गया था कि मनोनीत होने के बाद सचिन मात्र तीन बार सदन में आए हैं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर हंगामा होने के बाद सचिन का पत्र अब आया है।

अग्रवाल ने कहा कि गत शुक्रवार को ही सचिन दिल्ली में थे। उन्होंने एक समारोह में भाग लिया, लेकिन उनके पास सदन में आने के लिए समय नहीं था। उन्होंने कहा कि सचिन का ऐसा करना संसद के प्रति असम्मान है।

इस पर कुरियन ने कहा कि अवकाश के दौरान कोई सदस्य कहां रहता है, इस बारे में जांच कराना सभापति या आसन का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि अवकाश के लिए सदस्यों के जो पत्र आसन के पास आते हैं उसमें बताए गए कारणों पर संदेह व्यक्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अवकाश में कोई व्यक्ति क्या करता है यह उसका व्यक्तिगत मामला है।

शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने कहा कि तेंदुलकर सहित मशहूर मनोनीत सदस्यों का सदन में नहीं आना न केवल सदन बल्कि पूरे देश का असम्मान है। उन्होंने कहा कि सदस्यों को सदन के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए। कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा कि यह गलत परंपरा है। इससे पूरे देश का असम्मान हुआ है। उन्होंने कहा कि सचिन ने शहर में रहते हुए भी सदन में आना पसंद नहीं किया। उन्होंने कहा कि सचिन जब अन्य कामों के लिए समय निकाल सकते हैं तो सदन के लिए वह समय क्यों नहीं दे सकते।

इस मुद्दे पर कई अन्य दलों के सदस्य भी कुछ कहने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन कुरियन ने उन्हें शांत कराते हुए कहा कि हम किसी सदस्य के पत्र में बताए गए कारणों की ‘सत्यता की जांच’ नहीं करवा सकते। उन्होंने कहा कि ऐसा करना संसद के मानकों के अनुरूप नहीं होगा। इसके बाद उन्होंने सचिन के अवकाश संबंधी अनुरोध पर सदन की राय ली और सदन ने ध्वनिमत से इसकी मंजूरी दे दी।

गौरतलब है कि गत शुक्रवार को माकपा के पी राजीव ने यही मुद्दा उठाते हुए कहा था कि सदन में कई मशहूर हस्तियां एवं मनोनीत सदस्य पिछले कई दिनों से अनुपस्थित हैं। आसन को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे सूचना देकर अनुपस्थित हुए हैं।

इस पर कुरियन ने कहा था कि राजीव तथा अन्य सदस्यों ने पहले भी यह मामला उठाया था। उन्होंने इस बारे में जो जानकारी एकत्र की है उसके अनुसार, प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर अप्रैल 2012 में इस सदन में मनोनीत किए गए थे। उन्होंने अभी तक 3 बैठकों में हिस्सा लिया है।

कुरियन ने कहा था कि तेंदुलकर ने अंतिम बार 13 दिसंबर 2013 को उच्च सदन की बैठक में भाग लिया था। उप सभापति ने कहा था कि मशहूर सिने अभिनेत्री रेखा को भी अप्रैल 2012 में उच्च सदन में मनोनीत किया गया था। रेखा ने अभी तक उच्च सदन की 7 बैठकों में हिस्सा लिया है।

कुरियन ने कहा था कि रेखा ने अंतिम बार 19 फरवरी 2014 को सदन की बैठक में भाग लिया था।

उप सभापति ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 104 के तहत यदि कोई सदस्य बिना अनुमति के 60 बैठकों तक सदन में नहीं आता है तो उसकी सीट को रिक्त मान लिया जाता है।

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कुरियन ने कहा था कि तेंदुलकर अभी केवल 40 बैठकों में नहीं आए हैं जबकि रेखा के मामलों में तो यह संख्या और भी कम है लिहाजा इन दोनों पर उक्त नियम लागू नहीं होता।