यह ख़बर 06 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

खुदरा विवाद : फैसला निरस्त करने पर अड़ा विपक्ष

खास बातें

  • बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई की अनुमति के फैसले पर बने संसदीय गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
नई दिल्ली:

बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के फैसले पर बने संसदीय गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है लेकिन इससे पहले ही विपक्षी दलों ने साफ कर दिया है कि इस फैसले को निलम्बित रखने या रोके रखने से काम नहीं चलने वाला है, सरकार को इस फैसले को निरस्त करना होगा। सरकार की ओर से संकेत है कि वह एफडीआई के विवादास्पद फैसले को फिलहाल रोके रखना चाहती है और इस सम्बंध में वह संसद में बयान दे सकती है। सर्वदीलय बैठक इन संकेतों के बीच होने वाली है। चार दिनों के अंतराल के बाद बुधवार को संसद की कार्यवाही भी होनी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राजनाथ सिंह ने कहा कि राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं की बैठक संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले बुधवार सुबह 9.30 बजे होगी। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव प्रकाश करात ने मांग की कि केंद्र सरकार खुदरा कारोबार में एफडीआई के फैसले को निरस्त करे। करात ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा, "सरकार की मंशा संसद के शीतकालीन सत्र के खत्म होने तक एफडीआई पर लिए गए फैसले को रोके रखने की है। लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार इस फैसले को निरस्त करे।" करात ने आरोप लगाया कि सरकार ने खुदरा कारोबार में एफडीआई को इसलिए मंजूरी दी क्योंकि उसने अमेरिका से इसका वादा किया था। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर संसद के भीतर और बाहर अपना विरोध दर्ज कराती रहेगी। "हम इस मसले को लोगों तक ले जाएंगे।" भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कोलकाता में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एफडीआई के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए। दासगुप्ता ने कहा, "संसद में गतिरोध के लिए जो लोग विपक्ष को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, उन्हें मैं कहना चाहूंगा कि इस गतिरोध के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जिम्मेदार हैं।" उन्होंने कहा, "यह सच है कि हम एफडीआई का विरोध कर रहे हैं लेकिन साथ ही हम यह भी चाहते हैं कि संसद चले। संसद चले तो हम महंगाई और काले धन का मुद्दा उठा सकते हैं।" उन्होंने कहा कि इस मसले पर भाजपा की नेता सुषमा स्वराज से उनकी बात हुई है। दासगुप्ता ने कहा, "आज हमें सर्वदलीय बैठक की जानकारी मिली। मैंने सुषमा स्वराज से बात की। उन्होंने बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने उन्हें कहा है कि जब तक सभी हितधारकों से चर्चा में इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन जाती तब तक इस फैसले को सरकार स्थगित रखेगी।" उन्होंने कहा, "मैंने उन्हें (सुषमा) कहा कि न सिर्फ हितधारकों बल्कि सभी राजनीतिक दलों को भी इसमें शमिल किया जाना चाहिए। और फैसला सर्वसम्मति से लिया जाना चाहिए।" दासगुप्ता ने कहा, "हमारी स्थिति स्पष्ट है। हम चाहते हैं कि सरकार इस फैसले को पूरी तरह वापस ले।" उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह जिस प्रकार भारत-अमेरिका परमाणु करार के लिए जिम्मेदार थे, उसी प्रकार खुदरा कारोबार में एफडीआई के फैसले के लिए भी निजी तौर पर जिम्मेदार हैं। क्योंकि अर्थव्यवस्था के उदारीकरण में उनकी भूमिका अहम रही है। एफडीआई रोके जाने सम्बंधी फैसले की जानकारी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी की ओर से सार्वजनिक किए जाने को 'अनैतिक' करार देते हुए दासगुप्ता ने इसके लिए सरकार की आलोचना भी की। उन्होंने कहा, "केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच हुई निजी बातचीत सार्वजनिक होती है और कोई यह साबित करने की कोशिश करे कि फलां राजनीतिक पार्टी के दबाव के आगे सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा, तो यह पूरी तरह 'अनैतिक' है।" इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सवाल उठाया कि एफडीआई के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी महासचिव राहुल गांधी चुप क्यों हैं। भाजपा नेता अरुण जेटली ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, "सरकार ने 25 नवम्बर को खुदरा कारोबार में एफडीआई की अनुमति देने का फैसला लिया, तब से लेकर अब तक मुझे इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष (सोनिया गांधी) और उनके महासचिव (राहुल गांधी) के विचार जानने का मौका नहीं मिला, जबकि राहुल को भविष्य का नेता माना जाता है।" उन्होंने कहा, "वे (सोनिया और राहुल) सरकार की नीति से खुश हैं या नहीं, यह बात अभी तक लोगों को पता नहीं चला है।" राज्यसभा में विपक्ष के नेता जेटली ने यह भी कहा कि सरकार बिना सोचे-समझे फैसला लेती है जिससे आर्थिक सुधारों को नुकसान पहुंचता रहा है। उन्होंने कहा, "सरकार में शामिल लोग सोचते हैं कि वे एक झटके में ही कुछ हासिल कर लेंगे।" उल्लेखनीय है कि इस सिलसिले में मुखर्जी ने सोमवार को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी एवं सुषमा स्वराज और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी से बात की थी। माना जाता है कि मुखर्जी ने एफडीआई पर हुए फैसले को रोकने के सरकार के निर्णय से उन्हें अवगत कराया और संसदीय कार्यवाही सुचारु ढंग से चलाने में उनसे सहयोग की मांग की। वहीं, विपक्ष के नेताओं ने सुझाव दिया था कि सरकार को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए। मुखर्जी ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सूचित किया था कि सरकार आम सहमति बनने तक एफडीआई पर हुए फैसले को रोके रखेगी। उल्लेखनीय है कि कालाधन, महंगाई और एफडीआई सहित अन्य मुद्दों पर विरोध और हंगामे के चलते संसद के शीतकालीन सत्र का करीब आधा समय नष्ट हो चुका है।


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