यह ख़बर 28 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

जयललिता के लिए दुर्भाग्यशाली साबित हुआ है सितम्बर

बेंगलुरु की विशेष अदालत में पेश होने जातीं जयललिता

चेन्नई:

आय से अधिक संपत्ति के मामले में बेंगलुरु की अदालत द्वारा चार साल के कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता पद गंवाने वाली और जेल जाने वाली पहली सेवारत मुख्यमंत्री बन गई हैं।

भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दोषी ठहराई गईं अन्नाद्रमुक प्रमुख को अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देने के लिए अपील दायर करने पर विचार करने से पहले अब जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। संयोगवश, जयललिता राज्य की दूसरी नेता हैं, जिन्हें अयोग्य ठहराया गया है।

इससे पहले द्रमुक के राज्यसभा सदस्य टीएम सेल्वागणपति को क्रिमैशन शेड घोटाले में दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य ठहराया गया था। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के उस प्रावधान को निरस्त कर दिया था, जिसके तहत दोषी सांसदों, विधायकों को ऊपरी अदालत में अपील दायर करने के लिए छह महीने की राहत मिल जाती थी।

जयललिता के लिए सितम्बर निश्चित रूप से भाग्यशाली साबित नहीं हुआ है। वर्ष, 2001 के सितम्बर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। वर्ष 2014 के फिर सितम्बर में ही बेंगलुरु की विशेष अदालत ने उनके खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपति मामले में सजा सुनाई है।

वर्ष 2001 में हुए चुनावों में भले ही वह चुनाव नहीं लड़ीं, लेकिन मुख्यमंत्री बन गई थीं और टीएएनएसआई (तांसी) भूमि घोटाले में दोषी ठहराए जाने के परिप्रेक्ष्य में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को खारिज कर दिया, जिसके बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला दिया था, जो व्यक्ति आपराधिक कृत्य में दोषी है और जिसे दो वर्ष से कम के जेल की सजा नहीं मिली है, उसे अनुच्छेद 164 (एक) एवं (चार) के तहत मुख्यमंत्री नियुक्त नहीं किया जा सकता और इस पद पर काम नहीं कर सकता। अदालत ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया था कि लोकप्रिय जनादेश या लोगों की इच्छा संविधान के ऊपर है।

जयललिता ने उस वक्त अपने एक मंत्री पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री बनाया था और जब तक मद्रास हाईकोर्ट ने उन्हें आरोपों से मुक्त नहीं किया और 2002 में वह आंदीपट्टी विधानसभा उपचुनाव में नहीं जीतीं, तब तक वह सत्ता में नहीं लौटीं।

सितम्बर एक बार फिर उनके लिए मनहूस साबित हुआ है, जब विशेष अदालत के न्यायाधीश जॉन माइकल डीकुन्हा ने जयललिता एवं अन्य को 18 वर्ष पुराने आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति मामले में दोषी करार दिया और उन्हें चार वर्ष कैद की सजा सुनाई है।


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