यह ख़बर 11 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

लोकपाल के नियमों में संशोधन करेगी सरकार

नई दिल्ली:

लोकपाल नियुक्त करने की तरफ पहला कदम उठाते हुए सरकार ने नियमों में संशोधन कर खोज समिति को ज्यादा सशक्त करने का निर्णय लिया है। समिति को भ्रष्टाचार निरोधक निकाय के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति की अनुशंसा करने का अधिकार दिया गया है।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) खोज समिति के नियमों में संशोधन कर रही है, जिसे जल्द ही अधिसूचित कर दिया जाएगा। मौजूदा नियमों के मुताबिक आठ सदस्यीय खोज समिति को चयन समिति के विचारार्थ लोगों का एक पैनल बनाने का काम दिया गया है। चयन समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे जो लोकपाल के अध्यक्ष एवं सदस्यों को नियुक्त करेंगे। नियमों के मुताबिक इन लोगों को डीओपीटी की तरफ से उपलब्ध कराए पैनल में से चुना जाना है।

सूत्रों ने कहा कि बहरहाल सरकार खोज समिति को सशक्त करेगी, ताकि चयन समिति के विचारार्थ डीओपीटी की सूची से बाहर के लोगों को शामिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि खोज समिति के संविधान में कुछ और बदलाव हो सकते हैं।

इसके अलावा डीओपीटी ने कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर लोकपाल के अधीन सरकारी कर्मचारियों को संपत्ति कर दायर करने के नियमों की समीक्षा करने को कहा है। लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम के मुताबिक हर नौकरशाह अपनी संपत्तियों एवं जवाबदेही की घोषणा करेगा।

सूत्रों ने कहा कि किसी सरकारी अधिकारी द्वारा इस तरह के रिटर्न दाखिल करने के फॉर्म का प्रारूप तैयार कर लिया गया है और इस संबंध में नियम कानून मंत्रालय के पास भेज दिया गया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लोकपाल अधिनियम महत्वपूर्ण है।

मोदी के नेतृत्व वाली चयन समिति में सदस्य के रूप में लोकसभा अध्यक्ष, निचले सदन में विपक्ष के नेता, भारत के प्रधान न्यायाधीश या उनकी तरफ से मनोनीत सुप्रीम कोर्ट के जज, राष्ट्रपति या किसी अन्य सदस्य द्वारा नामित एक प्रमुख कानूनविद होंगे।

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निचले सदन में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने चूंकि विपक्ष के नेता के मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं किया है, इसलिए लोकपाल के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति में कुछ और वक्त लग सकता है।