यह ख़बर 09 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

अफजल की दया याचिका ठुकराए जाने के बाद सरकार ने तेजी से काम किया

खास बातें

  • गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा, राष्ट्रपति ने 3 फरवरी को अफजल गुरु की दया याचिका खारिज कर दी थी और इसके बाद मैंने 4 फरवरी को मंजूरी दी और एक न्यायिक अधिकारी द्वारा तारीख और समय की पुष्टि की गई।
नई दिल्ली:

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के महज पांच दिन बाद ही संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई।

गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा, राष्ट्रपति ने 3 फरवरी को अफजल गुरु की दया याचिका खारिज कर दी थी और इसके बाद मैंने 4 फरवरी को मंजूरी दी और एक न्यायिक अधिकारी द्वारा तारीख और समय की पुष्टि की गई। उसे (अफजल को) आज सुबह 8 बजे फांसी दी गई।

शिंदे ने कहा कि अफजल गुरु की दया याचिका को नामंजूर करने की सिफारिश पहले 2011 में गृह मंत्रालय ने की थी। पिछले साल प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने पर उन्होंने सभी लंबित दया याचिकाएं पुनर्विचार के लिए मुझे भेजीं, जब मैंने अगस्त, 2012 में गृह मंत्रालय का प्रभार संभाला।

उन्होंने कहा कि नए राष्ट्रपति ने सभी दया याचिकाएं पुनर्विचार के लिए भेजी थीं। मैंने फाइल का सतर्कता से अध्ययन किया और 21 जनवरी को राष्ट्रपति से सिफारिश की कि गुरु की याचिका नामंजूर कर दी जाए।

विमला मेहरा (महानिदेशक जेल) ने बताया कि अफजल की सेहत ठीक थी और उसे मजिस्ट्रेट, डॉक्टर तथा जेल के अन्य अधिकारियों के समक्ष फांसी दी गई। वह सुबह जल्दी उठ गया था और उसे आम दिनों की तरह भोजन दिया गया। तिहाड़ जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अफजल को सुबह साढ़े सात बजे फांसी के तख्ते पर ले जाया गया और उस समय वह बेहद शांत और स्थिर चित्त लग रहा था। उन्होंने बताया कि अफजल को फांसी के तुरंत बाद जेल नंबर 3 के समीप दफना दिया गया।

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केंद्रीय गृहसचिव आरके सिंह ने बताया कि उत्तरी कश्मीर के सोपोर में रह रहे अफजल के परिजनों को सरकार के इस फैसले के बारे में बता दिया गया था कि उसकी दया याचिका खारिज कर दी गई है।