यह ख़बर 12 जून, 2013 को प्रकाशित हुई थी

सरकारी कर्मचारियों को निर्देश : प्रधानमंत्री को नहीं भेजें अपनी शिकायतें

खास बातें

  • प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंच रही सरकारी कर्मचारियों की शिकायतों की बढ़ती संख्या से नाराज केंद्र ने अधिकारियों से कहा है कि वे अपनी शिकायतों के निपटारे के लिए अन्य मार्गों का अनुसरण करें।
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंच रही सरकारी कर्मचारियों की शिकायतों की बढ़ती संख्या से नाराज केंद्र ने अधिकारियों से कहा है कि वे अपनी शिकायतों के निपटारे के लिए अन्य मार्गों का अनुसरण करें।

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने सख्त निर्देश में कहा है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ आवश्यक ‘अनुशासनिक कार्रवाई’ की जाएगी अगर वे अपनी शिकायतें सीधे प्रधानमंत्री, मंत्रियों या सचिव जैसे उच्च अधिकारियों को भेजते हैं।

डीओपीटी ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की ओर से सीधे प्रधानमंत्री, मंत्री, सचिव (कार्मिक) और अन्य अधिकारियों को भेजे ज्ञापन बड़ी संख्या में विभाग को मिल रहे हैं।

निर्देश में कहा गया है कि सेवा से जुड़ी स्थिति या कोई अन्य संबद्ध मामला हो, कोई सरकारी कर्मचारी कोई दावा करना चाहता है या अपनी शिकायत का निपटारा चाहता है तो उचित तरीका अपने उच्च अधिकारी या कार्यालय के प्रमुख या सक्षम अधिकारी को इससे अवगत कराना है। निर्देश में 60 साल से भी ज्यादा पुराने सरकारी दिशानिर्देश का जिक्र किया गया है।

इसमें कहा गया है कि ऐसा देखा जा रहा है कि विभिन्न स्तरों पर अधिकारी ज्ञापनों के लिए बनाए गए तौरतरीकों की अनदेखी कर रहे हैं और सीधे उच्च अधिकारियों को पत्र लिख रहे हैं। बड़े विभागों में यह समस्या अधिक गंभीर है जहां क्लर्क स्तर के कनिष्ठ अधिकारी भी अक्सर मंत्री, प्रधानमंत्री और अन्य अधिकारियों को कई ज्ञापन भेज रहे हैं।

हाल ही में केंद्र सरकार के सभी विभागों को जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि निजी ज्ञापनों के अलावा यूनियनें भी निजी शिकायतों के बारे में मंत्रियों और प्रधानमंत्री को लिखने लगी हैं।

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आदेश में कहा गया है कि इनमें से कुछ ज्ञापन अक्सर संसद सदस्यों द्वारा अग्रसारित भी होते हैं जो नियमों का उल्लंघन है। इसमें कहा गया है कि मौजूदा दिशानिर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि सेवा से जुड़े मामलों पर ज्ञापन अग्रसारित करने के लिए उचित तरीका है।