यह ख़बर 19 नवंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने को तैयार : कांग्रेस

खास बातें

  • कांग्रेस ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर संसद में मतदान कराने के मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की मांग को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र सरकार तृणमूल कांग्रेस द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने को तैयार है।
नई दिल्ली:

कांग्रेस ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर संसद में मतदान कराने के मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की मांग को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र सरकार तृणमूल कांग्रेस द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने को तैयार है। पार्टी के सूत्रों ने यह बात सोमवार को कही।

कांग्रेस के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, "हम एफडीआई के मुद्दे पर संसद में बहस के लिए तैयार हैं लेकिन बगैर मतदान के। हम अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने को भी तैयार हैं।"

कांग्रेस खेमे की मनोदशा से संकेत मिल रहा है कि पार्टी ने नियम 184 के तहत एफडीआई पर बहस कराने की मांग स्वीकार न करने का मन बना लिया है, क्योंकि इस नियम के तहत मतदान भी जरूरी है।

कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने विपक्षी दलों में एकता की कमी और तृणमूल कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्या के अभाव को देखते हुए अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने का फैसला लिया है।

कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के ममता बनर्जी के प्रयास की सोमवार को खिल्ली तक उड़ाई और कहा कि 19 सांसदों वाली पार्टी जैसा प्रयास कर रही है, वैसा संसद के इतिहास में कभी नहीं हुआ है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने यहां संवाददाताओं से कहा, "संसद के इतिहास में यह हास्यास्पद स्थिति है कि 19 सांसदों वाली पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कर रही है।"

तिवारी ने कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि ममता आत्मनिरीक्षण करेंगी और अपने फैसले पर गंभीरता से विचार करेंगी, क्योंकि तीन महीने पहले तक उनकी पार्टी इसी सरकार की हिस्सा थी और तृणमूल के मंत्री सरकार के हिस्सा थे।"

गौरतलब है कि संसद के निचले सदन लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव की मंजूरी के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन आवश्यक है। इसलिए तृणमूल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अपने प्रतिद्वंद्वी वामदलों से भी समर्थन की अपील की है।

तृणमूल कांग्रेस ने मल्टी-ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मुद्दे पर ही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से सितम्बर में समर्थन वापस ले लिया था।

वहीं, कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को कहा कि उसे लोकसभा में संप्रग के सदस्यों की संख्या पर भरोसा है। पार्टी प्रवक्ता संदीप दीक्षित ने कहा, "जब विश्वासमत हासिल करने की नौबत आएगी, हमें अपने गठबंधन के सदस्यों की संख्या पर पूरा भरोसा है..और ताकत परखने के बाद हम उसे पारित करा लेंगे।"

एफडीआई के मुद्दे पर बहस कराने की विपक्ष की मांग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार इसके लिए विकल्प खुला रखेगी। उन्होंने कहा, "लोकसभा अध्यक्ष का जो भी अंतिम निर्णय होगा हम उसका स्वागत करेंगे और बहस कराई जाएगी।"

उधर, माकपा महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कर रही हैं, लेकिन चूंकि सरकार के पास जरूरी संख्या है, ऐसी स्थिति में उनका प्रस्ताव उपयोगी साबित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर सत्तारूढ़ गठबंधन को अलग-थलग करने के प्रयास में है।

भारतीय महिला प्रेस कोर के कार्यक्रम में माकपा महासचिव ने कहा, "सभी विपक्षी दलों के बीच आम राय है कि सरकार के पास जरूरी संख्या है, ऐसी स्थिति में अविश्वास प्रस्ताव लाना उपयोगी साबित नहीं होगा।" उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार एफडीआई के मुद्दे से संबंधित जो विधेयक लाएगी, उस पर बहस और मतदान साथ-साथ हो।" उन्होंने इस बात से इनकार किया कि वामदल इस मुद्दे पर विभाजित हैं।

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उल्लेखनीय है कि संसद का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर से शुरू होगा जिसमें एफडीआई तथा अन्य कड़े आर्थिक फैसलों पर सरकार पर विपक्ष की ओर से तीखे प्रहार होने की संभावना है।