यह ख़बर 10 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

2जी घोटाला : सरकार ने किया चिदंबरम का बचाव

खास बातें

  • दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि एनडीए के लोग पी चिदंबरम को बदनाम करने और उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
New Delhi:

केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम का जोरदार बचाव करते हुए कहा कि बीजेपी नीत एनडीए 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में चिदंबरम पर दोष थोपना चाहता है और यह संसदीय लोकतंत्र को पंगु बनाने का एक हताशा भरा प्रयास है। सिब्बल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि स्पेक्ट्रम आवंटन के समय वित्त मंत्री रहे चिदंबरम के खिलाफ लगाए जा रहे सभी आरोपों को सरकार खारिज करती है और एनडीए में शामिल कुछ तत्वों पर उनकी (चिदंबरम) छवि धूमिल करने और बदनाम करने का प्रयास करने का आरोप लगाती है। उन्होंने कहा कि उस वक्त के दूरसंचार मंत्री ए राजा ने मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटन के संदर्भ में आशय पत्र जारी किए जाने से पहले चिदंबरम के साथ कोई बैठक नहीं की थी। आशय पत्र 10 जनवरी, 2008 को जारी किया गया था। सिब्बल ने कहा, रिकॉर्ड दिखाएंगे कि वित्त मंत्रालय के पास आशय पत्र जारी किए जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन वित्त मंत्री के रूप चिदंबरम दूरसंचार मंत्रालय की ओर से जारी आशय पत्र के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। सिब्बल ने कहा, चिदंबरम सहित वित्त मंत्रालय के किसी भी अधिकारी ने स्पेक्ट्रम आवंटन में किसी तरह की अनियमितता नहीं की थी। सिब्बल ने कहा, एनडीए के लोग पी चिदंबरम की छवि धूमिल करने और बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। हम 2जी घोटाले में उनके खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज करते हैं। चिदंबरम हमारे महत्वपूर्ण सहयोगी हैं। वह अपना काम निडरता और निष्पक्षता से करते हैं। सिब्बल का यह बयान विपक्षी दलों की ओर से चिदंबरम के इस्तीफे की मांग को लेकर संसद को ठप करने की पृष्ठभूमि में आया है। दिल्ली की एक अदालत ने पिछले दिनों इस मामले में चिदंबरम के खिलाफ जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी को बतौर गवाह बयान देने की इजाजत दे दी है। दूरसंचार मंत्री ने कहा, विपक्ष की ओर से चिदंबरम पर दोष मढ़ने का कोई भी प्रयास गैर जिम्मेदाराना है और साथ ही संसदीय लोकतंत्र को पंगु बनाने का एक हताशा भरा प्रयास है। सिब्बल ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़ी नीति का भी बचाव किया और कहा कि अदलातों ने भी किसी तरह के राजस्व के नुकसान की बात नहीं की है।  उन्होंने कहा, नीति सही थी, लेकिन अदालतों में यह मामला चल रहा है कि इसका क्रियान्वयन उचित था अथवा नहीं।


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