कॉलेजियम प्रणाली खत्म करने के लिए सरकार तत्काल कानून अधिसूचित नहीं कर सकती

नई दि्ल्ली:

आलोचना की शिकार कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करने से संबंधित कानून के केवल तभी प्रभाव में आने की संभावना है जब दो प्रख्यात हस्तियों को नामांकित किया जाए जो प्रस्तावित उच्च स्तरीय आयोग का हिस्सा होंगे।

इन दो प्रख्यात हस्तियों को नामांकित करने के अतिरिक्त, सरकार को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून के नियम भी लाने होंगे।

सरकार के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने यहां बताया, ‘‘इसके अतिरिक्त, आगे बढ़ने से पहले आयोग के लिए एक ऐसी जगह को भी अंतिम रूप देना होगा जहां से यह काम करेगा।’’ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले हफ्ते एनजेएसी विधेयक और संलग्न संवैधानिक संशोधन विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी थी।

संविधान में शामिल किए गए नए अनुच्छेद 124ए के अनुसार प्रधानमंत्री, प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में नेता विपक्ष या नेता विपक्ष न होने पर सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता वाली समिति द्वारा आयोग के सदस्य के रूप में दो प्रमुख हस्तियों को नामांकित किया जाएगा।

प्रमुख हस्तियों में से एक व्यक्ति अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक या महिला वर्ग से शामिल किया जाएगा।

साथ ही ये प्रमुख व्यक्ति तीन साल की अवधि के लिए नामांकित होंगे और उन्हें पुन: नामांकित नहीं किया जाएगा।

एनजेएसी का नेतृत्व प्रधान न्यायाधीश करेंगे। शीर्ष अदालत के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, दो प्रख्यात हस्तियां और कानून मंत्री उच्चस्तरीय पैनल के सदस्य होंगे। कानून मंत्रालय के सचिव इसके संयोजक होंगे। पदाधिकारी ने कहा कि प्रख्यात हस्तियों के नाम तय हो चुके हैं और कानून मंत्रालय प्रस्तावित इकाई के लिए एनजेएसी कानून की धारा 11 के अनुरूप नियम बनाना शुरू करेगा।

आयोग अपने लिए खुद नियमन तैयार करेगा जैसा कि कानून की धारा 12 में दिया गया है।

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उन्होंने बताया कि आयोग के कामकाज के लिए सरकार एक स्थान के चयन को अंतिम रूप दे रही है। साथ ही नए निकाय के प्रशासन के संचालन के लिए जल्द ही कुछ नियुक्तियां की जाएंगी।