यह ख़बर 29 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

संसद के शीत सत्र के लिए मोदी सरकार ने कसी कमर

नई दिल्ली:

बजट सत्र में आर्थिक सुधारों को लेकर अधिक विधायी काम न करा पाने से मायूस मोदी सरकार ने 24 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में युद्ध स्तर पर काम करने का फैसला किया है।

सरकार की कोशिश है कि 30 दिनों तक चलने वाले इस सत्र की 22 बैठकों में अधिक से अधिक बिल पास करा लिए जाएं। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने सभी मंत्रियों को पत्र लिखकर शीतकालीन सत्र के लिए तैयारी करने को कहा है। नायडू ने मंत्रियों को संसद में लंबित विधेयकों की सूची भेजी है।

मंत्रियों से कहा गया है कि वे अपने-अपने मंत्रालयों से संबंधित विधेयकों को पारित कराने या फिर उन्हें वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कराएं। नायडू ने यह भी कहा है कि उन्हें 7 नवंबर तक इस बारे में की जा रही कार्रवाई की जानकारी दे दी जाए।
 
संसदीय कार्य मंत्रालय के अनुसार संसद में अभी 67 विधेयक लटके हुए हैं, जिनमें आठ लोकसभा और बाकी राज्य सभा में हैं। सरकार की कोशिश है कि शीतकालीन सत्र में बीमा विधेयक, भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक, रियल एस्टेट बिल जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पास करा लिए जाएं, ताकि आर्थिक सुधारों की गति में तेजी आ सके।
 
संसद में एक दूसरी कोशिश गोवा में हुए सचेतकों के सम्मेलन की सिफारिशों पर आम राय बनाने की होगी। इसमें कहा गया था कि हर साल संसद की बैठक कम से कम 100 दिन और विधानसभाओं की 70 दिन बैठक होनी चाहिए। इस सम्मेलन में सांसदों के आचरण को सुधारने के लिए भी कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की गई थीं, जिनमें हंगामे वाले दिन उन्हें भत्ता न देने की बात भी है।


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