ग्रीनपीस ने कहा, सत्ताधीश लोकतंत्र में असहमति को कुचल नहीं सकते

ग्रीनपीस ने कहा, सत्ताधीश लोकतंत्र में असहमति को कुचल नहीं सकते

नई दिल्ली:

विदेशी चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) के तहत केंद्र सरकार की ओर से अपना पंजीकरण रद्द किए जाने के कदम को 'अनवरत दमन' का हिस्सा करार देते हुए ग्रीनपीस ने कहा कि सत्ता में बैठे लोग लोकतंत्र में असहमति को 'कुचल नहीं सकते'।

सरकार ने कथित तौर पर देश की आर्थिक प्रगति के खिलाफ काम करने के आरोप में विदेशी चंदा नियमन कानून के तहत कल अंतरराष्ट्रीय एनजीओ ग्रीनपीस का पंजीकरण रद्द कर दिया था। इससे एनजीओ को विदेशों से चंदा नहीं मिलेगा जो इसके संपूर्ण संचालन का 30 फीसदी से ज्यादा है।

ग्रीनपीस इंडिया की अंतरिम सह कार्यकारी निदेशक विनीता गोपाल ने कहा, ‘एफसीआरए का पंजीकरण रद्द करना सार्वजनिक प्रक्रियाओं में स्वस्थ वातावरण, अच्छा प्रशासन और पारदर्शिता की मांग करने वाले और सभी भारतीयों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरूद्ध अनवरत सरकारी दमन का हिस्सा है।’ विनीता ने कहा, ‘ऐसे दमन पूरे देश में देखे गए हैं, लेकिन हमें भरोसा है कि लोग हमारी मुहिम में शामिल होंगे और सत्ता में बैठे लोगों को एक स्पष्ट संदेश देंगे कि - आप लोकतंत्र में असहमति को कुचल नहीं सकते ।’ ग्रीनपीस ने कहा कि अदालत की सुनवाई आज होनी थी, लेकिन इसे 17 सितंबर तक टाल दिया गया है।

ग्रीनपीस इंडिया की राजनीतिक सलाहकार निर्मला करूणन ने कहा, ‘विदेशी धन प्राप्त करने की हमारी योग्यता को रद्द कर रहे हैं? इससे कुछ नहीं बदलने वाला । अपना काम जारी रखने के लिए हमारे पास हजारों लोगों का समर्थन है।’ उन्होंने कहा, ‘यह देखना हास्यास्पद है कि सरकार दबाव बनाने के लिए हर चाल चल रही है, लेकिन ग्रीनपीस के लिए समर्थन बढ़ता ही जा रहा है ।’

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एनजीओ ने कहा, ‘एनजीओ ने नया ऑनलाइन अभियान शुरू किया है जिसमें बॉलीवुड फिल्मों के ऑनलाइन पोस्टर जारी किए हैं। इसमें स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति को फिर से हासिल करने के लिए वास्तविक कहानियों को उजागर किया गया है ।’