यह ख़बर 21 मई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

संचार उपग्रह जीसैट-8 का सफल प्रक्षेपण

खास बातें

  • भारत के अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-8 का फ्रेंच गुयाना के कोउरू से यूरोपीय प्रक्षेपण यान एरियनस्पेस की सहायता से सफल प्रक्षेपण किया गया।
बेंगलुरु:

भारत के अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-8 का शनिवार को फ्रेंच गुयाना के कोउरू अंतरिक्ष केंद्र से यूरोपीय प्रक्षेपण यान एरियनस्पेस की सहायता से सफल प्रक्षेपण किया गया। इससे देश की डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) सेवा को मजबूती मिलेगी। जीसैट-8 यूरोपीय प्रक्षेपक एरियनस्पेस के एरियन-5 रॉकेट की मदद से भारतीय समयानुसार तड़के 2 बजकर 8 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया। सह-यात्री के रूप में इसके साथ जापान के एसटी-2 अंतरिक्ष यान को भी भेजा गया। फ्रेंच गुयाना दक्षिणी अमेरिका के उत्तर-पूर्वी तट पर फ्रांस का एक क्षेत्र है। प्रक्षेपण के समय जीसैट-8 उपग्रह का वजन 3,100 किलोग्राम था। यह सबसे भारी उपग्रहों में से एक है। उच्च क्षमता वाले उपग्रहों को बेंगलुरु स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन मुख्यालय द्वारा तैयार किया जाता है। प्रक्षेपण पर नजर रखने वाले इसरो के दल ने इस उपग्रह के सफल प्रक्षेपण पर खुशी व्यक्त की। इसरो अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने कहा, इस बात की घोषणा करते हुए मुझे अत्यंत खुशी हो रही है कि बेंगलुरु के निकट हासन स्थित इसरो के मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी ने जीसैट-8 से संकेत मिलने की पुष्टि कर दी है। उन्होंने कहा, यह (प्रक्षेपण) हमारे लिए एक और महान क्षण है। राधाकृष्णन ने कहा कि भारत का उपभोक्ता समुदाय भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली में 24 उच्च क्षमता वाले केयू बैंड ट्रांसपोंडरों के संचालन की ओर देख रहा था। इसरो के अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल देश से प्रक्षेपित किए गए दो जीएसएलवी उपग्रहों के असफल रहने के कारण अंतरिक्ष एजेंसी को इस प्रक्षेपण के सफल रहने से दोहरी खुशी मिली है। इसरो ट्रांसपोंडर क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयासरत था, जिसकी भारी मांग है। जापान की मित्सुबिशी इलेक्ट्रिक कंपनी द्वारा निर्मित एसटी-2 सिंगापुर टेली कम्युनिकेशन लिमिटेड (सिंग टेल) और ताइवान की चुंघवा टेलीकॉम कंपनी लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जाएगा। जीसैट-8 अपने साथ 24 ट्रांसपोंडर ले गया है, जिससे भारत की केयू बैंड क्षमताओं में खासकर भारतीय उपमहाद्वीप की डायरेक्ट-टू-होम टीवी प्रसारण सेवाओं में वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त जीसैट-8 भारतीय नभ क्षेत्र और आसपास के इलाकों में वायुयान दिशा निर्देशन सहायता के लिए गगन प्रणाली के दो चैनल लेकर गया है।


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