कांग्रेस के सहयोग के बिना राज्‍यसभा से जीएसटी बिल पास होना संभव नहीं

कांग्रेस के सहयोग के बिना राज्‍यसभा से जीएसटी बिल पास होना संभव नहीं

नई दिल्‍ली:

सरकार की पूरी कोशिश है कि वह किसी भी तरह वस्‍तु और सेवा कर (जीएसटी) बिल को पास करवा ले। लोकसभा में तो सरकार को कोई  दिक्कत नहीं होगी, वहां उसके पास संख्या है मगर असली दिक्कत राज्यसभा में होगी। जीएसटी संविधान संशोधन बिल है इसलिए इसको पारित करने के लिए  दो तिहाई संख्या की जरूरत होगी।

संख्‍या का गणित सरकार के पक्ष में नहीं
राज्यसभा में कुल 241 सांसद हैं, ऐसे में इस बिल का पारित करने के लिए सरकार को 160 सांसदों की जरूरत होगी। अब जरा राज्य सभा का गणित देखते हैं। बीजेपी के 48 सांसदों के अलावा उसे तृणमूल कांग्रेस के 12, बीजेडी के 6, जेडीयू के 12 सहित तमाम छोटी-बड़ी पार्टियों को जोड़ दिया जाए तो भी सरकार के पास 140 की संख्या है। दूसरी ओर, कांग्रेस के 67, सीपीआई-सीपीएम के 10, मनोनीत 8,  एआईडीएमके के 12 और डीएमके के 4 सदस्‍य यानी 101सदस्य जीएसटी के विरोध में हैं जबकि सरकार को चाहिए है 161 सांसदों का समर्थन। हालांकि समाजवादी पार्टी (एसपी) और शिव सेना ने अपना रुख साफ नहीं किया है मगर हमने इनकी संख्या भी सरकार के साथ जोड़ा है।

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'उस' मुलाकात में नहीं हुई जीएसटी पर बात
कुल मिलाकर, जीएसटी बिल राज्यसभा में किसी भी हालत में कांग्रेस के सहयोग के बिना पास नहीं कराया जा सकता है। कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने साफ कर दिया है कि अरुण जेटली की राहुल गांधी से मुलाकात केवल जेटलीजी की बेटी की शादी के निमंत्रण तक सीमित थी। इस मुलाकात में जीएसटी बिल पर कोई बात नहीं हुई। कांग्रेस इस बिल को तभी पास कराने के लिए सहमत होगी जब उनकी तीन मांगें सरकार मान नहीं लेती।

  1. जीएसटी की सीमा तय हो और किसी  वस्तु पर कितना टैक्स बढेगा इसके लिए संसद के दो तिहाई बहुमत की जरूरी है।
  2. राज्यों के साथ विवाद होने पर जीएसटी समिती के मौजूदा सदस्यों में से 75 फीसदी की मंजूरी चाहिए।
  3. उत्पादक राज्यों से कोई भी वस्तु मंगाने पर खरीददार राज्य को एक फीसदी अधिक टैक्स देना होगा जो उत्पादक राज्य को जाएगा।

यानी सरकार को कांग्रेस की इन मांगों पर विचार करना ही होगा, वरना अप्रैल 2016 से जीएसटी को लागू कराना मुश्किल होगी। दोनों सदनों में पास होने के बाद अगले साल मार्च तक इसे कम से कम 15 राज्यों से भी पारित कराना होगा।