गुजरात की नाबालिग के अबॉर्शन की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी

गुजरात की नाबालिग के अबॉर्शन की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी

नई दिल्ली:

गुजरात में रेप की वजह से गर्भवती हुई 14 साल की नाबालिग लड़की के अबॉर्शन संबंधी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी गई है।

गुजरात सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉक्टरों की टीम ने जांच में पाया कि लड़की की हालत ठीक नहीं है और प्रिगनेंसी के कारण उसके जीवन को खतरा है। लड़की के वेलफेयर के लिए टर्मिनेशन जरूरी था और इसके बाद लड़की का अबॉर्शन कराया गया। इसमें 12 घंटे का वक्त लगा और लड़की की हालत अब बेहतर है।

28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि 14 साल की रेप विक्टिम गर्भवती लड़की का मेडिकल परीक्षण डॉक्टरों की टीम करे और अगर लड़की के जीवन को प्रिगनेंसी के कारण खतरा हो तो उसकी सहमति से उसकी प्रिगनेंसी को टर्मिनेट करें।

अदालत ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया था कि वह अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के 3 गाइनकोलॉजिस्ट, एक क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और लड़की की रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर 30 जुलाई को लड़की के हेल्थ की जांच करें और फिर इस बारे में फैसला लें। अदालत को अगले मंगलवार को इस बारे में जानकारी दी जाए।

लड़की 14 साल की है और रेप विक्टिम है। रेप के कारण ही वह गर्भवती हुई और दो महीने बाद उसे इस बारे में पता चला। लड़की के भ्रूण को डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल के तौर पर सुरक्षित रख लिया गया है।

इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि लड़की की स्थिति को देखते हुए उसे भी पीड़ा है। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में लड़की और उसके परिजन की पीड़ा से वह अवगत है और यह भी जानता है कि समाज इस तरह की चीजों को आसानी से स्वीकार नहीं करता। कोई भी उस जगह होगा तो शायद वही फैसला लेगा जो याचिकाकर्ता ने लिया है लेकिन हमें कानून के दायरे में ही फैसला लेना होगा।

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सुप्रीम  कोर्ट में दलील दी गई कि कानून के तहत 12 से 20 हफ्ते के बीच की प्रिगनेंसी को महिला के वेलफेयर को देखते हुए डॉक्टर की सलाह से टर्मिनेट किया जा सकता है लेकिन मौजूदा मामले में प्रिगनेंसी 24 हफ्ते से ज्यादा हो चुकी थी। 20 हफ्ते बाद प्रिगनेंसी टर्मिनेशन पर पूरी तरह से रोक नहीं है बल्कि अगर लड़की की जिंदगी खतरे में हो तो टर्मिनेशन हो सकता है।