यह ख़बर 12 मई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

हसन अली मामले पर अंधेरे में क्यों रखा : कोर्ट

खास बातें

  • न्यायालय ने इस संवेदनशील मामले की जांच की निगरानी के लिए सरकार की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति के कामकाज पर भी सवाल खड़ा किया।
New Delhi:

उच्चतम न्यायालय ने पुणे स्थित घोड़ा कारोबारी हसन अली खान के खिलाफ कथित तौर पर कालेधन को सफेद करने के मामले में आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बारे में खुद को अंधेरे में रखे जाने पर प्रवर्तन निदेशालय को आड़े हाथों लिया और इस घटनाक्रम पर हैरानी जताई। न्यायालय ने इस संवेदनशील मामले की जांच की निगरानी के लिए सरकार की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति के कामकाज पर भी सवाल खड़ा किया। शीर्ष न्यायालय ने चार मई को इस मामले की सुनवाई के दौरान उस समय नाराजगी व्यक्त की थी, जब प्रवर्तन निदेशालय ने खान एवं अन्य से जुड़े कालाधन मामले की जांच से संबंधित स्थिति रिपोर्ट पेश की थी लेकिन उसमें यह जिक्र नहीं किया गया था कि मुम्बई की विशेष अदालत के समक्ष छह मई को आरोपपत्र दायर किया जायेगा। उच्चतम न्यायालय कालेधन से जुड़े मामलों की निगरानी कर रहा है। हसन अली के मामले में न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एसएस निज्जर की पीठ ने पूछा, आपने हमें इस बात की सूचना क्यों नहीं दी गई कि हसन अली के खिलाफ जांच पूरी हो गई है। आपने (प्रवर्तन निदेशालय) ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा है कि जांच चल रही है। इसके दो दिन बाद हमने अखबारों में पढ़ा कि आपने आरोप पत्र दायर कर दिया है। हमारे लिए आपत्ति जताना आवश्यक है। उच्चतम न्यायालय की पीठ ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि आरोप पत्र को सरकार की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत क्यों नहीं किया गया। न्यायालय ने कहा, हमने सोचा था कि ऐसे सभी मामलों की निगरानी के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी अवकाशप्राप्त न्यायाधीश की नियुक्ति की जाये, लेकिन आपने इसके लिए एक अलग तंत्र बनाया। हम देखना चाहते हैं कि आपके इस तंत्र में क्या कमी है और यह कैसे काम करता रहा है। न्यायालय ने कहा, आपने अपनी ओर से गठित समिति के समक्ष आरोप पत्र को प्रस्तुत किये बिना ही इसे दायर कर दिया। हमें आश्चर्य हुआ है। पीठ ने कहा, हमने चार मई को इस मामले की सुनवाई की थी लेकिन उस दिन स्थिति रिपोर्ट में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया था कि छह मई को आरोप पत्र पेश किया जाएगा। आपने इस बात का स्थिति रिपोर्ट में कोई उल्लेख नहीं किया। आरोप पत्र के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया था। शीर्ष अदालत ने पूछा, इस बात का क्यों उल्लेख नहीं किया गया था कि आरोप पत्र पेश किया जाएगा। पीठ ने यह भी पूछा, इस बात का उल्लेख क्यों नहीं किया गया था कि जांच का काम पूरा हो गया था और आरोपपत्र दायर किया जायेगा। दो दिन बाद हम अखवार में पढ़ते हैं कि आरोपपत्र दायर कर दिया गया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि चार मई को पेश स्थिति रिपोर्ट में कहा गया था कि जांच का कार्य अभी भी जारी है। पीठ ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि राजस्व सचिव के नेतृत्व वाली 10 सदस्यीय समिति के समक्ष आरोप पत्र को नहीं रखा गया। पीठ ने कहा, हम समझते थे कि किसी को आरोपपत्र को देखना चाहिए। इसे सरकार की ओर से गठित समिति के समक्ष रखा जाना चाहिए था। पीठ ने कहा कि प्रश्न जांच की निगरानी से जुड़ा हुआ है जिसके लिए सरकार की ओर से विशेष जांच दल के गठन का विरोध करते हुए एक तंत्र स्थापित किया गया था। शीर्ष न्यायालय की पीठ ने सालिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम से कहा, हमें आश्चर्य है कि आपने एक तंत्र सुझाया और निगरानी के लिए तंत्र का गठन किया।। सुब्रमण्यम ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि आरोप पत्र को समिति के समक्ष रखा जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सुधारात्मक उपाए किए जाएंगे। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय से याचिकाकर्ताओं को 900 पन्नों के आरोप पत्र की प्रति देने का निर्देश दिया। अदालत जाने माने वकील राम जेठमलानी एवं अन्य की ओर से दायर मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें विदेशों में स्थित बैंकों में जमा भारतीयों के धन को स्वदेश लाने के लिए कार्रवाई किये जाने की मांग की गई थी।


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