यह ख़बर 08 मार्च, 2011 को प्रकाशित हुई थी

हसन पर लगाए जाएं आतंकवाद के आरोप : कोर्ट

खास बातें

  • पीठ ने इस बात पर नाराजगी जताई कि फर्जी पासपोर्ट मामले में खान के खिलाफ जांच सही गति के साथ सही दिशा में नहीं बढ़ी।
New Delhi:

उच्चतम न्यायालय ने बड़े पैमाने पर धन शोधन और कर चोरी के आरोपी पुणे के घोड़ा कारोबारी हसन अली के खिलाफ हथियार सौदागरों और आतंकी गतिविधियों से जुड़े लोगों के साथ उसके कथित संपर्कों के मामले में मंगलवार को सुझाव दिया कि उस पर आतंकवाद के आरोप तथा अन्य कड़ी धाराएं लगाई जाएं। न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एसएस निज्जर की पीठ ने केंद्र सरकार से यह विचार करने को भी कहा कि क्या उसके खिलाफ दर्ज फर्जी पासपोर्ट मामले में सीबीआई जांच की जा सकती है। पीठ ने विभिन्न हथियार सौदागरों और आतंकी गतिविधियों से जुड़े लोगों के साथ खान के कथित संबंधों को लेकर उसके खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून गैर कानूनी गतिविधि नियंत्रण अधिनियम के तहत आतंकवाद के आरोप और भारतीय दंड संहिता के अन्य कड़े प्रावधानों के तहत आरोप लगाने का सुझाव दिया। पीठ ने इस बात पर नाराजगी जताई कि फर्जी पासपोर्ट मामले में खान के खिलाफ जांच सही गति के साथ सही दिशा में नहीं बढ़ी और मामला गंभीर होने के बावजूद उचित कार्रवाई नहीं हुई। न्यायालय ने जाने माने अधिवक्ता राम जेठमलानी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किया। याचिका में शंका रहित माने जाने वाले भारतीय नागरिकों द्वारा विदेशी बैंकों में जमा किए गए काले धन को स्वदेश वापस लाने का आग्रह किया गया है। खान को कल रात प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया था जिसने उच्चतम न्यायालय द्वारा आज तक के लिए दी गई समयसीमा के अनुपालन में पुणे स्थित उसके घर और विभिन्न शहरों में उसके सहयोगियों के परिसरों पर छापे मारे। पुणे में पकड़े गए खान :53: को बाद में मुम्बई लाया गया। उसे गिरफ्तार किए जाने से पहले प्रवर्तन निदेशालय ने उससे करीब छह घंटे तक पूछताछ की। शीर्ष अदालत ने सरकार से खान के खिलाफ जांच कर रहे उन चार अधिकारियों के बारे में भी ब्यौरा मांगा जिन्हें जांच के बीच में ही अचानक स्थानांतरित कर दिया गया था। इस पर सरकार ने जवाब दिया कि ये अधिकारी प्रवर्तन निदेशालय में प्रतिनियुक्ति पर थे और उन्हें वापस भेज दिया गया। सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने न्यायालय को हालांकि आश्वासन दिया कि वह मामले को सरकार के समक्ष उठाएंगे और देखेंगे कि क्या अधिकारियों को प्रवर्तन निदेशालय में रखा जा सकता है। सरकार ने भी स्वीकार किया कि खान को हिरासत में लेकर पूछताछ करने का न्यायालय का निर्देश उचित था क्योंकि उसके खिलाफ लगे आरोपों में उससे इस तरह की पूछताछ की जरूरत थी। सॉलिसिटर जनरल ने यह भी स्वीकार किया कि जांच अधिकारियों में से एक :जो पुलिस उपायुक्त था: को पूर्व में उसके वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रताड़ित किया क्योंकि वह खान के फर्जी पासपोर्ट मामले में कार्रवाई करने का साहस रखता था। इस बीच याचिकाकर्ता जेठमलानी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल दीवान ने खान की सुरक्षा को लेकर गंभीर आशंका जताई क्योंकि उसके पास उन शक्तियों का खुलासा करने के लिए पर्याप्त सामग्री है जिनका उसके विभिन्न संदेहास्पद सौदों के पीछे हाथ था। अधिवक्ता ने आशुतोष अस्थाना की याद दिलाई जो गाजियाबाद के भविष्य निधि घोटाले में एक महत्वपूर्ण आरोपी था। वह मामले की सीबीआई जांच के दौरान जिले की डासना जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाया गया था। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ने काले धन से जुड़ी अपनी जांच की स्थिति रिपोर्ट एक बंद लिफाफे में न्यायालय को सौंपी जिसमें कल रात खान की गई गिरफ्तारी का जिक्र है। सुब्रमण्यम ने न्यायालय को यह भी बताया कि प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट के अतिरिक्त वह आयकर विभाग द्वारा अब तक की गई जांच की स्थिति रिपोर्ट भी सौंपेंगे। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 मार्च की तिथि निर्धारित कर दी।


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com