स्वास्थ्य मंत्री की 'आत्मा की आवाज़' और फिर यू-टर्न

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम्स में भ्रष्टाचार के मामलों में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इसी साल पहले आरोपों से घिरे अफसर से पल्ला झाड़ने की कोशिश की और फिर उसी दागी अफसर पर लगे आरोपों को रिव्यू करने के लिए एम्स निदेशक को आदेश दिए।

ये मामला एम्स के सीवीओ संजीव चतुर्वेदी को हटाए जाने और उनके द्वारा उजागर किए गए भ्रष्टाचार के तमाम मामलों से जुड़ा है। इन मामलों को लेकर हाइकोर्ट में मुकदमा भी चल रहा है, जिसमें खुद जेपी नड्डा भी एक पार्टी हैं। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में लीपापोती करने और उन्हें दबाने की कोशिश हो रही है और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा आरोपी अफसर विनीत चौधरी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

गौरतलब है कि विनीत चौधरी 1982 बैच के आईएएस अफसर हैं, जिन पर कई आरोप हैं। एम्स के निदेशक और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पिछले साल उनके खिलाफ चार्जशीट को हरी झंडी दी। लेकिन अब तक चौधरी को ये चार्जशीट नहीं दी गई है। सीवीसी की ओर से हाइकोर्ट को दिए हलफनामे से पता चलता है कि मामलों की जांच स्वास्थ्य मंत्री की ओर से हरी झंडी न मिलने की वजह से रुकी है।  

लेकिन इसी साल 15 मई को लिखी कार्मिक मंत्रालय को लिखी फाइल नोटिंग में स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा कहते हैं,  ‘हालांकि मैं इस मामले में आश्वस्त हूं और मेरी अंतर आत्मा साफ है। एक जनसेवक की हैसियत में जनहित के मुद्दे उठाए हैं। मेरे विचार में मीडिया में आई रिपोर्ट के बाद एम्स के पूर्व डीडीए विनीत चौधरी के खिलाफ की गई कोई भी जांच न्यायपूर्ण नहीं मानी जाएगी। न्याय का एक नियम ये भी है कि न्याय सिर्फ होना नहीं चाहिए, बल्कि बिना शक न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए। इसलिए मेरा ये विचार है कि मुझे खुद और मंत्रालय को विनीत चौधरी के मामले से अलग कर लेना चाहिए। कार्मिक मंत्रालय आईएएस अधिकारियों की काडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी है, इसलिये मेरी गुज़ारिश है कि कार्मिक मंत्रालय ही इस मामले को देखे।’

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सूत्र बताते हैं कि कार्मिक मंत्रालय ने मंत्री जी चिट्ठी के जवाब में कहा कि स्वास्थ्य मंत्री और उनका मंत्रालय ही विनीत चौधरी के खिलाफ मामलों का निबटारा तय कानूनी प्रक्रिया के हिसाब से करे। हैरान करने वाली बात है कि जो स्वास्थ्य मंत्री पहले इस मामले में 'न्याय के सिद्धांत' की दुहाई दे रहे थे, उन्होंने ही फिर इस मामले में यू टर्न ले लिया। एम्स से जारी एक प्रेस रिलीज से पता चला कि मंत्री जी ने एम्स निदेशक से विनीत चौधरी के खिलाफ मामलों को फिर से रिव्यू करने को कहा, ताकि ये पता चल सके कि उनके खिलाफ चार्जशीट करने लायक आरोप हैं या नहीं।