यह ख़बर 16 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

हाई कोर्ट ने गुडगाँव में नए निर्माण पर रोक लगाई

खास बातें

  • राजधानी दिल्ली से सटे गुडगाँव में अब नए निर्माण नहीं हो सकेंगे। यह आदेश पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने दिया है। कोर्ट ने यह आदेश एक जनहित याचिका की सुनवाई के चलते दिया है।
नई दिल्ली:

राजधानी दिल्ली से सटे गुडगाँव में अब नए निर्माण नहीं हो सकेंगे। यह आदेश पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने दिया है। कोर्ट ने यह आदेश एक जनहित याचिका की सुनवाई के चलते दिया है। गुडगाँव की क़ुतुब रेसिडेंसियल वेलफेयर एसोसिएसन ने चार साल पहले जनहित याचिका डाल यह मांग की थी कि गुडगाँव शहर में पानी की समस्या लगातार बढ़ रही है जिससे जमीनी पानी का स्तर भी तेजी से गिर रहा है। इसकी वजह लगातार हो रहे बड़े-बड़े निर्माण का जमीनी पानी इस्तेमाल करना है।

क़ुतुब रेसिडेंसियल वेलफेयर एसोसिएसन का कहना है की सरकार ने नए मास्टर प्लान के तहत शहर में हुडा के सेक्टर 58 से बढ़ा कर 115 कर दिए हैं जबकि सरकार हाल फिलहाल की आबादी को तो पर्याप्त पानी ही मुहैया नहीं करा पा रही है।

याचिका कर्ता आर एस राठी ने कहा कि हाई कोर्ट ने सभी सम्बंधित विभाग जिनमें जिला प्रसाशन, हुडा विभाग और नगर निगम के आला अधिकारियों को 31 जुलाई तक अपना जबाब कोर्ट के समक्ष रखने की बात कही है। कोर्ट ने कहा है की सभी विभाग नए निर्माण को अब अनुमति देने से पहले कोर्ट के सामने यह साफ़ करे कि पानी के स्त्रोत क्या हैं जिससे निर्माण और हाल की आबादी की पानी की जरूरत एक साथ पूरी की जा सके।

गुडगाँव शहर की पानी की जरूरत की बात की जाये तो प्रतिदिन 135 मिलियन गैलन है जबकि मिल 80 मिलियन गैलन ही पाता है। लगभग 70 प्रतिशत शहर की पानी की जरूरत जमीनी पानी से पूरी हो रही है जिसकी वजह से हर साल एक से 2 मीटर जमीनी पानी का स्तर गिर रहा है।

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सहयाचिकाकर्ता अभय ने कहा कि हाई कोर्ट के इस रूख के बाद नए निर्माण पर तो पाबन्दी लग गई है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि हरियाणा सरकार और जिला प्रसाशन का पानी की बढ़ती भयानक समस्या से निपटाने का मास्टर प्लान क्या होगा ताकि भविष्य के मास्टर प्लान पर लटकी तलवार हट सके।