#मैंऔरमेरीहिन्दी : 'शुक्रिया डोरेमॉन... हम तो हैरान हैं, हमारे बच्चे को इतनी अच्छी हिन्दी आई कैसे'

#मैंऔरमेरीहिन्दी : 'शुक्रिया डोरेमॉन... हम तो हैरान हैं, हमारे बच्चे को इतनी अच्छी हिन्दी आई कैसे'

भारत में डोरेमॉन एक लोकप्रिय कार्टून शो है...

खास बातें

  • डोरेमोन भारत में देखा जाने वाला एक लोकप्रिय कार्टून शो है
  • इस शो में इस्तेमाल की जाने वाली हिन्दी की काफी प्रशंसा की जाती है
  • शो में डोरेमोन की आवाज़ सोनल कौशल की है

'तुम्हारा शुक्रिया, डोरेमॉन' - जिन भारतीय घरों में टीवी की कमान बच्चों के हाथ में होती है, वहां यह लाइन अक्सर कानों में पड़ जाती है. मशहूर टीवी कार्टून 'डोरेमॉन' कई भारतीय बच्चों का पसंदीदा शो है, जिसमें एक रोबोट (डोरेमॉन) और एक बच्चे (नोबिता) की दोस्ती को दिखाया गया है. हर मुश्किल मौके पर डोरेमॉन अपने दोस्त नोबिता को मुश्किल से बाहर निकालता है, और साथ ही उसकी छोटी-छोटी इच्छाएं भी पूरी करता है. यही वजह है, अन्य कार्टूनों की तरह यह शो भी आलोचनाओं के घेरे में रहता है, लेकिन इन सबके बीच यह कार्यक्रम एक बात के लिए तारीफ भी बटोरता है - वह है इसकी भाषा.
 

सोनल ने डोरेमॉन की हिन्दी डबिंग में अपनी आवाज़ दी है...

मूलत: यह शो जापानी भाषा में है, लेकिन भारत में इसकी हिन्दी के अलावा अन्य भाषाओं में भी डबिंग की जाती है. हिन्दी डबिंग में डोरेमॉन की आवाज़ सोनल कौशल देती हैं. NDTVKhabar.com से बातचीत में सोनल ने बताया कि किस तरह कई बच्चों के माता-पिता जब उनसे मिलते हैं, तो इस बात को लेकर खुशी जताते हैं कि उनका बच्चा इस शो की बदौलत बेहतर हिन्दी बोलने लगा है.

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* यह हिन्दी क्विज़ खेलिए और जांचिए, कितनी हिन्दी जानते हैं आप...
* जब अंडर सेक्रेटरी को मज़ाक में कहते थे 'नीच सचिव'...
* क्या अवचेतन की भाषा को भुला बैठे हैं हम
* लोकप्रिय भाषा के रूप में हिन्दी का 'कमबैक'
* इस तरह हिन्दी भारत की राष्ट्रीय भाषा बनते बनते रह गई
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सोनल कहती हैं, "मेरे पास ऐसे कई माता-पिता आते हैं, जो कहते हैं कि मेरा बेटा मुझसे 'सॉरी' नहीं कहता, वह कहता है - मम्मी, मुझे 'माफ' कर दो... वह यूनिवर्स को यूनिवर्स या स्पेस नहीं, अंतरिक्ष कहता है... हम तो हैरान रह जाते हैं कि इसे इतनी अच्छी हिन्दी आई कैसे..."


सोनल सिर्फ डोरेमॉन की ही नहीं, छोटा भीम, माइटी राजू और पावरपफ गर्ल्स जैसे मशहूर एनिमेशन शो में भी अपनी आवाज़ से बच्चों का दिल जीत चुकी हैं. वह मानती हैं, "बच्चों के इन कार्यक्रमों में जिस तरह की हिन्दी का इस्तेमाल किया जाता है, उससे बच्चों की रोजमर्रा की भाषा पर फर्क पड़ता है... शायद यही वजह है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में डोरेमॉन पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है..."

गौरतलब है कि 2013 में बांग्लादेश में डोरेमॉन पर इसलिए प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि वहां यह कार्यक्रम हिन्दी में प्रसारित होता था. बांग्लादेश सरकार को यह चिंता सताने लगी थी कि इससे बच्चों के बीच बांग्ला को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है और वह हिन्दी की तरफ झुकते जा रहे हैं. बांग्लादेश के साथ-साथ अब पाकिस्तान में भी इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही है. पाकिस्तान के अखबार 'डॉन' के मुताबिक राजनीतिक पार्टी तहरीक़-ए-इंसाफ ने इस पर बैन की मांग करते हुए कहा है, "भारतीय भाषा' में डब किए गए इस कार्टून का बच्चों पर गलत असर पड़ रहा है..."

अभिलाष ने कई अंग्रेजी कार्यक्रमों की हिन्दी डबिंग में अपनी आवाज़ दी है...

इसमें कोई शक नहीं कि मौजूदा दौर में होश संभालने से पहले ही तमाम कार्टून चैनल बच्चे के साथ दोस्ती गांठ लेते हैं. छोटा भीम, डोरेमॉन, माइटी राजू जैसे कुछ शो ऐसे हैं, जो भाषा के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं करते, यह शो कुछ और करें न करें, बच्चों की हिन्दी तो सुधार ही देते हैं. वहीं इनमें से कई शो ऐसे भी हैं, जिनकी भाषा न पूरी तरह हिन्दी है, न पूरी तरह अंग्रेज़ी.

अभिलाष थपलियाल एक लोकप्रिय आरजे हैं, और डिज़्नी, नेशनल जियोग्राफिक समेत कई चैनलों के लिए अपनी आवाज़ देते आए हैं. अभिलाष के मुताबिक, "जापानी, अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा से जब हिन्दी डबिंग की जाती है, तो भाषा के कई मूल्यों के साथ समझौता करना पड़ता है... अगर सही हिन्दी की बात करें, तो उसे हासिल करना ज़रा मुश्किल है... कई बार अंग्रेजी में जो बात दो लाइन में कही जाती है, हिन्दी में उसे एक लाइन में ही बोल दिया जाता है, सो, ऐसे में कुछ और शब्दों को स्क्रिप्ट में 'ठूंसना' पड़ता है, जिसे हम 'आलू भरना' भी कहते हैं..."

हालांकि अभिलाष इसे सिर्फ हिन्दी डबिंग तक सीमित नहीं रखते. उनके मुताबिक, "हिन्दी को बाहरी स्वीकारोक्ति की ज़रूरत पड़ती रही है और अक्सर यह सोचा जाता है कि हिन्दी में अंग्रेज़ी पुट के आए बगैर बात नहीं बनेगी..." यहां तक की माता-पिता भी अपने बच्चे के ऐसे दोस्तों को ज्यादा तवज्जो देते दिखते हैं, जो अंग्रेज़ी फटाफट और बेहतर बोल सकें... ऐसे में कार्टूनों या किसी भी दूसरे शो में इस तरह के समझौते कहीं न कहीं सामाजिक सोच का नतीजा दिखाई देते हैं.

फिल्म जंगलबुक का एक दृश्य...
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वहीं इस तरह के तमाम शो की डबिंग करने वाली कंपनी प्राइम फोकस के क्रिएटिव मैनेजर अमित दास कहते हैं, "डबिंग करते वक्त हमें इस बात का खास ख्याल रखना होता है कि अर्थ का अनर्थ न हो जाए... मूल भाषा में जो बात कही गई है, डबिंग और अनुवाद में भी उसका वही अर्थ निकलकर आए... हालांकि उसे स्थानीय पुट देने के लिए हम संवादों का भारतीयकरण ज़रूर कर लेते हैं, जैसे स्क्रिप्ट में बर्गर, पिज्जा की जगह वड़ा-पाव ले लेता है, लेकिन इसके अलावा हमारी कोशिश बस इतनी रहती है कि आम बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल किया जाए, उसमें हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही शामिल हैं..."

एनिमेशन की दुनिया में हिन्दी का ही नहीं, क्षेत्रीय भाषाओं का बाज़ार भी फैल रहा है, इसका अनुमान इन सभी चैनलों से लगाया जा सकता है, जिन्हें अंग्रेजी से ज्यादा हिन्दी, बांग्ला, तमिल आदि भाषाओं में देखा जा रहा है. कुछ महीने पहले एनिमेशन फिल्म 'जंगल बुक' ने शुरुआती तीन दिन में ही कुल 40.19 करोड़ रुपये की कमाई कर ली थी. फिल्म ने भारत में कुल मिलाकर 200 करोड़ का आंकड़ा पार किया और इस कलेक्शन में हिन्दी डबिंग का हिस्सा, मूल अंग्रेजी संस्करण से ज्यादा रहा. इस फिल्म की सफलता को देखकर समीक्षकों ने कहा था कि ऐसा कम ही होता है कि हॉलीवुड फिल्मों के मामले में अंग्रेज़ी से ज्यादा कमाई उसका हिन्दी संस्करण करे.

नोट : 14 सितंबर को हिन्दी दिवस है और अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जिन्हें हिन्दी से लगाव है या हिन्दी से कुछ शिकायत है, तो फिर अगले एक हफ्ते NDTVKhabar.com पर पढ़ते रहिए, हिन्दी से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियां और आलेख. साथ ही #मैंऔरमेरीहिन्दी के साथ ट्विटर हैंडल @NDTVIndia को टैग करते हुए साझा कीजिए हिन्दी से जुड़ी अपनी राय, अपने अनुभव.