यह ख़बर 20 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

सरकार ने दी सफाई : सोशल मीडिया पर हिन्दी का उपयोग सिर्फ हिन्दीभाषी राज्यों के लिए ही

नई दिल्ली:

सोशल मीडिया पर सरकारी एकाउंट में हिन्दी को प्रमुखता दिए जाने के आदेश पर दक्षिण भारत के राजनीतिक दलों की ओर से विरोध करने के बाद सरकार ने सफाई दी है कि सोशल मीडिया पर हिन्दी सिर्फ हिन्दी भाषी राज्यों के लिए है, गैर-हिन्दी भाषी राज्यों पर हिन्दी को थोपा नहीं जा रहा है।

भारत सरकार की आधिकारिक प्रवक्ता नीलम कपूर ने (अंग्रेजी में) ट्वीट कर इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष साफ किया। उन्होंने लिखा, 'सरकार की सफाई :  सोशल मीडिया पर हिन्दी सिर्फ हिन्दी भाषी राज्यों के लिए है। गैर-हिन्दी भाषी राज्यों पर हिन्दी को थोपा नहीं जा रहा है।'

यह सफाई गृह मंत्रालय की ओर से राजभाषा हिन्दी को सोशल मीडिया पर प्रोत्साहित करने के लिए दो परिपत्र जारी होने से विवाद छिड़ने के बाद आया है। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता, राज्य में बीजेपी के दो सहयोगियों और डीएमके ने इसका कड़ा विरोध किया है। माकपा नेता वृंदा करात ने हिन्दी थोपने के किसी भी कदम का विरोध किया, जबकि ओडिशा विधानसभा में एक सदस्य द्वारा हिन्दी में सवाल किए जाने के प्रयास को आसन ने स्वीकृति नहीं दी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग ने 27 मई को एक परिपत्र जारी कर सभी मंत्रालयों विभागों, सार्वजनिक उद्यमों तथा बैंकों से सोशल मीडिया के आधिकारिक एकाउंट में हिन्दी को प्रमुखता देने को कहा गया था।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

राजभाषा विभाग के निदेशक अवधेश कुमार मिश्रा के लिखित निर्देश में कहा गया, ‘‘..ट्विटर, फेसबुक, ब्लॉग, गूगल, यूट्यूब जैसे आधिकारिक एकाउंट का परिचालन करने वाले सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को हिन्दी एवं अंग्रेजी का इस्तेमाल करना चाहिए। हिन्दी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।' एक अन्य परिपत्र में घोषणा की गई कि अधिकतर सरकारी कामकाज हिन्दी में करने वाले दो कर्मचारियों को 2000 रुपये की इनाम राशि दी जाएगी। दूसरे एवं तीसरे स्थान पर रहने वाले कर्मचारियों को क्रमश: 1200 रुपये और 600 रुपये दिये जाएंगे।