केजरीवाल और उपराज्यपाल में चिट्ठियों की जंग, राजनाथ ने कहा - केंद्र दखल नहीं देगा

नई दिल्ली:

दिल्ली के टकराव में केंद्र सरकार फिलहाल कोई दखल देने के मूड में नहीं है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने भी गृह मंत्री को यही सलाह दी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ अपनी मुलाकात को रुटीन बताते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दिल्ली का संकट केजरीवाल और जंग मिलकर सुलझा लें।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पत्रकारों को कहा, 'दोनों ही समझदार हैं, अपने दायरे में काम करें।' इशारा साफ़ है, केंद्र सरकार फिलहाल ये संदेश देना नहीं चाहती कि इस जंग में उसकी भी कोई भूमिका है।

बताया जा रहा है कि कुछ सीनियर मंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री ने गृह मंत्री को यही सलाह दी। पीएम ने कहा कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में दखल न दे, दोनों पक्ष अपने-अपने दायरे में रह कर काम करें।

लेकिन दखल न देने की ये नीति भी बता रही है कि गृह मंत्रालय इस मामले में अपने उपराज्यपाल के साथ है। सूत्रों के मुताबिक इसे जंग का संवैधानिक अधिकार माना जा रहा है। अफ़सरों को लेकर पीएमओ की हमदर्दी भी यही इशारा कर रही है।

पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि जैसे अफसरों के साथ सलूक किया जा रहा है उससे अफसरों के काम करने पर असर होगा। लेकिन सवाल ये है कि ये टकराव न टला तो केंद्र क्या करेगा?

कहने को ये जंग केजरीवाल और नजीब जंग के बीच है लेकिन असल मुद्दा दिल्ली और उसके चुने हुए नुमाइंदों की राजनीतिक हैसियत का है। टकराव जहां पहुंच गया है, वहां देर-सबेर केंद्र को दखल देने की नौबत आ सकती है।

इससे पूर्व राष्ट्रपति से शिकायत करने के बाद अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखा। इसमें केजरीवाल ने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह एलजी के जरिये दिल्ली में सरकार चलाना चाहता है। हमें सरकार स्वंतत्र रूप से चलाने दें। आपको बता दें कि इसी विवाद पर उपराज्‍यपाल नजीब जंग ने भी दिल्‍ली सरकार को खत लिखकर बहुत तीखी भाषा में कहा था, 'सभी ट्रांसफर और तैनातियां करने का अधिकार मेरे पास है। इसलिए दिल्‍ली  सरकार द्वारा पिछले चार दिन में किए गए सभी तबादले और तैनातियां रद्द समझे जाएं।'

इससे पहले इस तनातनी को लेकर दिल्ली सरकार ने आज अफसरों की बैठक बुलाई, जिसमें सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी मौजूद थे। कार्यवाहक मुख्य सचिव शकुंतला गैमलीन भी बैठक में मौजूद थे।

 सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में सभी विभागों के प्रमुख, सचिव और प्रधान सचिव हिस्सा लिया। इस दौरान अफसरों को दिल्ली सरकार के मुताबिक काम करने के निर्देश दिए गए। इससे पहले मंगलवार को केजरीवाल सरकार ने एक आदेश जारी किया, जिसमें अफसरों को उप-राज्यपाल के दफ्तर से मिले किसी आदेश को मानने से पहले मुख्यमंत्री या संबंधित विभाग के मंत्री की मंज़ूरी लेनी होगी।

उधर, सर्विसेज़ के प्रधान सचिव अनिंदो मजूमदार अपने दफ्तर में ताला जड़े जाने से नाराज़ होकर छुट्टी पर चले गए। उन्हें भी दिल्ली सरकार की  इस बैठक में शामिल होना था।

हले से ही नाराज चल रहे थे मजूमदार
दिल्ली सरकार ने अनिंदो मजूमदार को कार्यवाहक सचिव शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति का आदेश जारी करने को लेकर उनका महकमा छीन कर दफ्तर पर ताला लगा दिया था। बाद में एलजी ने उनकी नियुक्ति की, लेकिन अफसरों के साथ हो रहे सलूक से कई आईएएस अधिकारी नाराज़ बताए जा रहे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वह दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल में से किस के आदेश पर अमल करें।

कार्मिक विभाग के मंत्री जीतेंद्र सिंह की राय
हालत यह हो गई है कि दिल्ली में सरकार और एलजी की खींचतान में अब आईएएस अफसर दिल्ली पोस्टिंग से कतराने लगे हैं। इस पर अफसरों की नियुक्ति करने वाले कार्मिक विभाग यानी डीओपीटी के मंत्री जीतंद्र सिंह ने एनडीटीवी से खास बातचीत की है। उन्होनें साफ कहा कि एक अफसर पर कारवाई से पूरी अफसरशाही पर बुरा असर पड़ता है।

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20 अफसर दिल्ली से बाहर पोस्टिंग की कोशिश में
अफ़सर दिल्ली सरकार के तहत काम करने को तैयार नहीं हैं। कम से कम 20 अफ़सर दिल्ली से बाहर पोस्टिंग की कोशिश कर रहे हैं। उनके मुताबिक, सरकारी रवैया ऐसा है कि या तो उनकी सुनो या भुगतो।