दशहरे पर जेएनयू में पीएम का पुतला फूंके जाने पर गृह मंत्रालय ने तलब की रिपोर्ट

दशहरे पर जेएनयू में पीएम का पुतला फूंके जाने पर गृह मंत्रालय ने तलब की रिपोर्ट

मंगलवार को लखनऊ में आयोजित दशहरा समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

खास बातें

  • आरोप है कि एनएसयूआई ने कैम्पस में प्रधानमंत्री का पुतला फूंका था
  • बीजेपी प्रमुख शाह, साध्वी प्रज्ञा व बाबा रामदेव के भी पुतले फूंके गए
  • जेएनयू के वाइस-चांसलर ने मामले की जांच पहले ही शुरू कर दी है
नई दिल्ली:

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में मंगलवार को दशहरा के अवसर पर कुछ छात्रों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंके जाने के मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट तलब की है.

सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय ने दशहरा मनाने के लिए कुछ छात्रों द्वारा पुतला जलाए को लेकर दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी है. भगवान राम द्वारा राक्षसराज रावण का वध किए जाने के उपलभ्य में दशहरा हर साल मनाया जाता है, जिसमें रावण के पुतले का दहन किया जाता है.

इस मामले से केंद्र सरकार और जेएनयू के छात्रों के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति पैदा हो गई है. कुछ महीने पहले पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित कुछ छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था, क्योंकि कैम्पस में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान देश-विरोधी नारे लगाए गए थे.

आरोप है कि कांग्रेस पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआई ने कैम्पस में ही 'सरस्वती ढाबा' के निकट प्रधानमंत्री, भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, नाथूराम गोडसे, मालेगांव धमाकों में आरोपी साध्वी प्रज्ञा तथा योगगुरु बाबा रामदेव के पुतले फूंके. उन छात्रों ने पुतला दहन को 'शैक्षिक संस्थानों को सुरक्षा देने में केंद्र की नाकामी' के खिलाफ विरोध प्रदर्शन बताया.

एनएसयूआई कार्यकर्ता तथा जेएनयू के हालिया छात्रसंघ चुनाव में प्रत्याशी रहे सनी दीमान के हवाले से प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने कहा, "पुतला दहन केंद्र की मौजूदा सरकार के प्रति हमारी असंतुष्टि का प्रतीक है... हमारा इरादा सरकार के स्तर पर बुराइयों को खत्म कर देने का है, और हम ऐसा सिस्टम लाना चाहते हैं, जो छात्रों तथा लोगों का ध्यान रखे..."

जेएनयू के वाइस-चांसलर ने मामले की जांच पहले ही शुरू कर दी है. यूनिवर्सिटी अधिकारियों ने पुतला दहन से जुड़े सवालों का जवाब देने से इंकार कर दिया है, और वे यह बताने के लिए भी तैयार नहीं हैं कि तथाकथित विरोध प्रदर्शन को मंजूरी दी गई थी या नहीं.

पिछले सप्ताह भी यूनिवर्सिटी ने इसी तरह के पुतला फूंके जाने के मामले में जांच के आदेश दिए थे, जब कुछ छात्रों ने गुजरात सरकार और गोरक्षकों को निशाना बनाकर पुतला फूंका था.


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