'गृह मंत्रालय के जवाब से दाऊद इब्राहीम के प्रत्यर्पण की कोशिशों को लगा धक्का'

दाऊद की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

दाऊद इब्राहीम कहां है इसके बारे में हमारे पास जानकारी नहीं है। लोकसभा में गृह राज्यमंत्री हरिभाई चौधरी के इस लिखित जवाब ने दाऊद इब्राहिम को पकड़ कर भारत लाने की भारत सरकार की दो दशक से जारी राजनयिक मुहीम को कमज़ोर कर दिया है।

भारत पिछले दो दशक से ये भी बताता रहा है कि पाकिस्तान ने उसे छुपा रखा है। 20 साल से 1993 के मुंबई धमाकों का ये मुल्ज़िम भारत का मोस्ट वांटेड रहा है। अब गृह मंत्रालय के बयान के साथ अचानक ये स्थिति बदल गई है। (दाऊद पर केंद्र का यू-टर्न )

पूर्व गृह सचिव आरके सिंह मानते हैं कि अब भारत के लिए दाऊद को बाहर पकड़ना बेहद मुश्किल हो गया है। एनडीटीवी से बातचीत में आरके सिंह ने कहा, 'अब दाउद का प्रत्यार्पण होने वाला नहीं है। पाकिस्तान पहले से इस बात से हमेशा मना करता रहा है कि दाउद पाकिस्तान में है।'

दरअसल दाऊद का मामला भारत में एक राजनीतिक मामला भी बन गया है। ये बात पहले कई बार सामने आई कि दाऊद पाकिस्तान और दुबई आता-जाता रहा है। उसकी बेटी की शादी भी बड़ी ख़बर बनी। उसे तभी पकड़ा जा सकता है जब भारत पाकिस्तान पर ठोस ख़ुफ़िया सूचनाओं के साथ दबाव बना सके। ये पहल गृह मंत्रालय के बयान के साथ भारत ने फिलहाल खो दी है।

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह कहते हैं प्रत्यर्पण के लिए ज़रूरी होता है कि ये सबूत भी पेश किया जाए की अपराधी कहां छिपा है। सत्यपाल ने एनडीटीवी से कहा, 'जब सबूत मिलेगा तभी हम एक्सट्राडीशन की अर्ज़ी दे सकते हैं।'

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यानी भारत के लिए दाऊद का प्रत्यर्पण- यानी बाहर से उसे गिरफ्तार करके लाना तब तक मुमकिन नहीं होगा, जब तक ये साफ न हो कि वह कहां है। अब सवाल ये भी उठ रहा है कि दाऊद को लेकर भारत के राजनीतिक दल बस नारेबाज़ी करते हैं या सरकारें वाकई उसे वापस लाने की कोई कोशिश कर रही हैं?