क्या रुक पाएगी यमुना खादर में सब्जियों की खेती?

नई दिल्ली:

दिल्ली के यमुना खादर में होने वाली सब्जी की खेती पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दी है। बीते तीन दिन से दिल्ली विकास प्राधिकरण के बुलडोजरों ने किसानों की बहुत सारी झुग्गियों को नेस्तनाबूत कर दिया है और खेतों को रौंद रही है।

यमुना के किनारे की 22 किलोमीटर जमीन पर किसानी कर रहे करीब 30 हज़ार किसानों के चेहरे पर हवाईयां उड़ी हुई हैं। किसान लामबंद होना शुरू हो गए हैं और आसपास के किसान नेता भी इनका साथ देने के लिए जुट गए हैं। कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन भी शुक्रवार को किसानों को समर्थन देने पहुंचेंगे।

लेकिन लोगों की सेहत और किसानों के हित में टकराव साफ नजर आ रहा है। ज्यादातर रिपोर्ट में यमुना के पानी से उगाई जा रही सब्जियों को खतरनाक बताया है। एनडीटीवी ने जब खुद यमुना के किनारे जाकर जायजा लिया तो पाया कि बहुत सारे पंपिंग सेट सीधे यमुना से पानी पंप करके खेतों तक पहुंचा रहे हैं। ऐसे में गंदे पानी से होने वाली इस खेती को कतई सही नहीं ठहराया जा सकता है।

हालांकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर करने वाले जाने-माने पर्यायवरणविद मनोज मिश्रा बताते हैं कि एनजीटी ने किसानी पर रोक नहीं लगाई है बल्कि यहां उगाई जा रही सब्जियों और फलों की खेती पर पाबंदी लगाई है, जब तक की यमुना साफ नहीं होती है। वो ये भी कहते हैं कि टेरी ने एक विस्तृत रिपोर्ट 2012 में दी थी, जिसमें कहा गया है कि यमुना खादर में रहने वाले बच्चों के खून में लेड की मात्रा ज्यादा पाई गई। साथ ही सब्जियों में भी मर्करी जैसे खतरनाक रसायन तय मात्रा से ज्यादा पाए गए हैं। इसी के चलते एनजीटी ने यहां फूलों की खेती करने को कहा है।

एनजीटी के इसी आदेश का हवाला देकर डीडीए अब ये कार्रवाई कर रहा है। डीडीए की प्रवक्ता नीमो धर का कहना है कि डीडीए की जमीन पर अवैध कब्जा करके यहां खेती हो रही है। इन्हीं पर डीडीए कार्रवाई कर रही है।

लेकिन सवाल ये उठता है कि ये कार्रवाई अभी क्यों हो रही है जब एनजीटी ने जनवरी में भी ये आदेश दिए थे। हालांकि किसानों के नेता निर्भय सिंह के पास पूसा की एक जवाबी रिपोर्ट भी है।

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उनका कहना है कि पूसा ने उनके खेत से जमीन, पानी और सब्जियों के सैंपल लिए थे। सभी ठीक पाए गए हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या से सैंपल एक खेत से या एक जगह से लिए गए या फिर अलग-अलग जगहों से है। पर ये साफ है कि जब तक इस मामले में सरकार का रवैया स्‍पष्‍ट नहीं होगा तब तक सब्जियों की खेती पर इस तरह की रोक लगना मुश्किल है।