कैंसर ने जगाया और गुटखे का बिजनेस छुड़ाया, आज हैं बड़े इत्र कारोबारी

नई दिल्ली:

53 साल के विजय तिवारी उत्तर प्रदेश के बड़े इत्र के कारोबारी हैं। लेकिन पांच साल पहले ये गुटखा कारोबार से जुड़े थे। हर रोज उनकी फैक्ट्री में गुटखा में मिलाने वाली कई चीजें तैयार होती थीं।

गुटखे की खुशबू जांचने के लिए वो अपनी फैक्ट्री में कई बार गुटखा खाकर उसकी जांच भी करते थे। इसी दौरान 2011 में अचानक उन्हें पता चला कि उन्हें गुटखा खाने की वजह से मुंह का कैंसर हो गया है। समय रहते टाटा मेमोरियल अस्पताल में उनकी मुलाकात डॉ. पंकज चतुर्वेदी से हुई।

मुंह की सर्जरी हुई करीब 15 से 20 लाख रुपये खर्च हुए और दो साल तक उनका परिवार कन्नौज से मुंबई चक्कर काटता रहा। अपनी बीमारी को देखकर उन्होंने तुरंत अपनी गुटखे की फैक्ट्री बंद कर दी।

वो बताते हैं कि एक रुपये के गुटखे के पाउच में केसर होने की बात कही जाती है। जबकि केसर एक लाख 50 हज़ार रुपये किलो है, ऐसे में केसर की जगह फ्रांस से 4 हजार रुपये किलो वाला एक कैमिकल इनमें मिलाया जाता है। जिससे इसका स्वाद केसर जैसा होता है।

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टाटा मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टर पंकज चतुर्वेदी बताते हैं कि तंबाकू और गुटखे में करीब चार हज़ार कैमिकल होते हैं, जिससे कैंसर होने के खतरे में इजाफा होता है। हमारे देश में करीब 10 से 15 लाख लोग सालाना तंबाकू से होने वाली बीमारी से मरते हैं। इनमें 70 फीसदी लोगों की मौतें चबाने वाले गुटखे और तंबाकू के कारण होती है।