जानिए, किस तरह दो गुटों में बंटकर काम कर रहे थे पठानकोट के आतंकवादी

जानिए, किस तरह दो गुटों में बंटकर काम कर रहे थे पठानकोट के आतंकवादी

पठानकोट:

पिछले हफ्ते पठानकोट एयरफोर्स बेस पर हमला करने वाले छह आतंकवादी पूरी प्लानिंग करने के बाद बेस पर पहुंचे थे। इन आतंकवादियों ने खुद को दो गुटों में बांट रखा था, जिनमें से एक में सिर्फ दो लोग थे, और उनका काम भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों और हमलावर हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ ईंधन भरने के स्टेशन और गोला-बारूद के स्टोर के रूप में इस्तेमाल की जा रही इमारत को भी उड़ाना था। आतंकवादियों के दूसरे गुट में बचे हुए चार लोग थे, और उनका काम था अंधाधुंध गोलीबारी करना, ताकि सुरक्षाकर्मियों का ध्यान बंटा रहे और उनके साथियों को ज़्यादा से ज़्यादा तबाही मचाने का मौका मिल सके।

जांचकर्ताओं का मानना है कि आतंकवादियों का पहला गुट 1 जनवरी की दोपहर तक भारत-पाक सीमा से सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर बने इस बेस में घुसने में कामयाब हो चुका था, और उनकी वहां मौजूदगी की पूरे एक दिन तक किसी को भनक तक नहीं लगी। इस आतंकवादी हमले में सात सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 20 घायल हुए हैं, और जांचकर्ताओं के मुताबिक उनकी जांच के मुख्य पहलुओं में यह बात भी शामिल है कि कहीं आतंकवादियों को 'किसी अंदर के आदमी या स्थानीय व्यक्ति' की मदद तो हासिल नहीं थी।

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) के अधिकारी यहीं काम करते रहे उस व्यक्ति से पूछताछ करने वाली है, जिसे वर्ष 2014 में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज़ इंटेलिजेंस (आईएसआई) के लिए जासूसी करने के आरोप में इसी बेस से गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा एनआईए अधिकारी रंजीत केके से भी पूछताछ करेंगे, जो पंजाब के ही बठिंडा स्थित एयरफोर्स बेस पर तैनात था, और कुछ ही हफ्ते पहले आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार हुआ था।

जांचकर्ताओं के मुताबिक, इस हमले के तार स्वाभाविक रूप से सीमापार से पंजाब के इस इलाके में हो रहे ड्रग-व्यापार से भी जुड़े हैं।

31 दिसंबर को आधी रात के कुछ ही देर बाद पंजाब पुलिस के एसपी सलविंदर सिंह ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी थी कि चार-पांच आतंकवादियों ने उसे अगवा किया था, और उसकी सरकारी गाड़ी और मोबाइल फोन छीन लिए। बाद में सलविंदर के फोन से ही आतंकवादियों ने पाकिस्तान में बैठे अपने हैंडलरों को फोन किया, और उन कॉलों को खुफिया एजेंसियों ने इन्टरसेप्ट भी कर लिया था। सलविंदर की सूचना और अन्य कई इनपुट के आधार पर 1 जनवरी को दोपहर बाद 3:30 बजे अलर्ट जारी किया गया।

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माना जा रहा है कि जब आतंकवादियों का दूसरा गुट 10 फुट ऊंची कांटेदार तार लगी चारदीवारी को फांदकर बेस के भीतर घुसा (वह रस्सी बरामद हो गई है, जिसका इस्तेमाल उन्होंने किया था), पहले गुट को वहां पहुंचे हुए लगभग 24 घंटे हो चुके थे। जांचकर्ताओं का मानना है कि बॉर्डर पार करके भारत में घुसने के बाद आतंकवादियों के दूसरे गुट ने पहले एक टैक्सी का इस्तेमाल किया, जिसके ड्राइवर इकागर सिंह की लाश उसके गांव के पास बरामद हुई। वह टैक्सी एयरबेस से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर बरामद हुई। लेकिन आतंकवादियों का पहला गुट हथियारों समेत बेस में कैसे घुसा, यह अभी साफ नहीं हो पाया है।