यह ख़बर 17 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

सड़कों पर उतरे, वकील, छात्र व सरकारी कर्मचारी

खास बातें

  • अन्ना हजारे के समर्थन में कहीं वकीलों ने अदालती कामकाज का बहिष्कार किया, तो कहीं छात्र, स्कूलों व कॉलेजों का बहिष्कार कर सड़कों पर उतर आए हैं।
New Delhi:

प्रभावी लोकपाल की मांग को लेकर तिहाड़ जेल में मंगलवार से अनशन पर बैठे अन्ना हजारे के समर्थन में देश भर में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा। दिल्ली सहित देश के कोने-कोने में उनके समर्थन में लोग अनशन और केंद्र सरकार व दिल्ली पुलिस के तानाशाह रवैये के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। कहीं वकीलों ने अदालती कामकाज का बहिष्कार किया है, तो कहीं छात्र, स्कूलों व कॉलेजों का बहिष्कार कर सड़कों पर उतर आए हैं। लखनऊ में करीब 200 सरकारी कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश लेकर अन्ना हजारे के समर्थन में जुलूस निकाला। दिल्ली में अनशन स्थल के बारे में फैसला लिए जाने तक अन्ना हजारे के जेल से बाहर आने से मना करने के बाद हजारों की संख्या में उनके समर्थक तिहाड़ जेल के बाहर जमा हो गए। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा, संदेश साफ है, जनता साबित कर रही है कि देश आजाद है। यह आंदोलन का संदेश है। पूर्व पुलिस अधिकारी किरण बेदी ने भी जेल के बाहर जुटे लोगों को सम्बोधित किया। सरकारी अधिकारी, छात्र, राहगीर सभी अन्ना हजारे का समर्थन कर रहे हैं। 'मैं अन्ना हूं' लिखी हुई टोपी और कपड़े पहने जेल के बाहर जमा लोग अन्ना हजारे के समर्थन और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं, तिरंगा लहरा रहे हैं। भीड़ के बीच देशभक्ति गाने भी सुनाई दे रहे हैं। राजौरी गार्डन के निवासी जौली बत्रा मंगलवार सुबह से ही जेल के बाहर हैं। उन्होंने कहा, यदि 74 साल के बुजुर्ग व्यक्ति को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की अनुमति नहीं दी जाती, तो आप इसे लोकतंत्र नहीं कह सकते। यह तानाशाही है। उधर, उत्तरी दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में भी सैकड़ों की संख्या में लोग एकत्र हैं। हरियाणा से आए छात्र अमित पाठक ने कहा, अन्ना हजारे लोगों की आवाज हैं। जब तक उन्हें उनकी शर्तों पर रिहा नहीं किया जाता, मैं पीछे नहीं हटूंगा। इससे पहले अन्ना हजारे के सहयोगी मनीष सिसौदिया ने कहा, अन्ना हजारे ने कहा है कि जब तक अनशन के लिए स्थान का मुद्दा हल नहीं हो जाता, वह जेल से बाहर नहीं निकलेंगे। मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय के वकीलों ने बुधवार को काम न करने का ऐलान किया। उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के आह्वान पर अधिवक्ताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर एक दिन के अवकाश पर रहने का निर्णय लिया। बार एसोसिएशन ने अन्ना हजारे के आंदोलन को जनहित में उठाया गया कदम करार देते हुए भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के लिए जन लोकपाल विधेयक को जरूरी बताया। उधर, भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की मुहिम के समर्थन में ओडिशा की विभिन्न अदालतों में कामकाज पर असर देखा गया। छात्रों ने स्कूल व कॉलेजों का बहिष्कार किया। कटक स्थित उड़ीसा उच्च न्यायालय सहित विभिन्न अदालतों में कामकाज ठप्प रहा। वकीलों ने हाथों पर काली पट्टियां बांधकर अन्ना हजारे की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किया। उड़ीसा उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के सचिव लालातेंदु सामंत्रेय ने अन्ना हजारे की गिरफ्तारी को 'अलोकतांत्रिक' करार दिया। राज्य के दूसरे हिस्सों में भी प्रदर्शन हुए, जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों, पूर्व न्यायाधीशों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और छात्रों ने शिरकत की। कई स्थानों पर छात्रों ने स्कूल, कॉलेजों का बहिष्कार किया और अन्ना हजारे के समर्थन में प्रदर्शन तथा जुलूस निकाला। बिहार के करीब सभी जिलों में बुधवार को भी आंदोलनों का सिलसिला जारी रहा। पटना में जहां बड़ी संख्या में लोगों ने धरना दिया और अनशन किया, वहीं चिकित्सकों ने भी उनके समर्थन में रैली निकाली। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान के पास कारगिल चौक पर इंडिया अगेंस्ट करप्शन, समाजवादी विचार मंच, राष्ट्रीय योजना, दुर्गा दस्ते के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने धरना दिया तथा अनशन पर बैठे। इससे पहले पटना के चिकित्सकों ने डाक बंगला चौराहे से मार्च निकाला। चिकित्सक अमूल्य कुमार ने कहा कि जीवन में पहली बार भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू हुआ है, जिसमें शामिल होने से गर्व महसूस हो रहा है। मुजफ्फरपुर में भी अन्ना हजारे के समर्थन में वकीलों ने अदालत के कामकाज का बहिष्कार किया। सीवान, छपरा, बेतिया, मोतिहारी, भागलपुर, सासाराम, रक्सौल में भी अन्ना हजारे के समर्थक प्रदर्शन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर अन्ना हजारे के समर्थन में उतर आये हैं। वहीं अन्ना के समर्थन में लखनऊ में आमरण अनशन करने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है। राज्य संयुक्त कर्मचारी परिषद के बैनर तले करीब 200 राज्य कर्मचारियों ने बुधवार को सामूहिक अवकाश लेकर अन्ना के समर्थन में जुलूस निकाला। छत्तीसगढ़ में भी लगातार दूसरे दिन बुधवार को बड़ी तादाद में लोग विरोध प्रदर्शन के लिए घरों से निकले। राज्य के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जगदलपुर, अम्बिकापुर, के अलावा औद्योगिक शहर कोरबा, रायगढ़ और भिलाई में प्रदर्शन स्थलों पर भारी संख्या में लोग पहुंचे। उल्लेखनीय है कि 74 वर्षीय अन्ना हजारे को जन लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर अनशन शुरू करने से पहले ही मंगलवार को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। इस पर सारे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इसके बाद शाम को सरकार ने अपना रुख पलटते हुए अन्ना हजारे को रिहा कर दिया गया, लेकिन उन्होंने तब तक जेल से बाहर आने से इनकार कर दिया जब तक कि उन्हें बिना शर्त अनशन जारी रखने की इजाजत नहीं मिल जाती।


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