खास बातें
- हैदराबाद के पुराने शहरी इलाके में सोमवार को तनाव बना रहा। यह तनाव चारमीनार से लगे एक धार्मिक स्थल के विस्तार की कोशिश को लेकर रात को हुई हिंसा के कारण फैला।
हैदराबाद: हैदराबाद के पुराने शहरी इलाके में सोमवार को तनाव बना रहा। यह तनाव चारमीनार से लगे एक धार्मिक स्थल के विस्तार की कोशिश को लेकर रात को हुई हिंसा के कारण फैला। उधर, उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि ऐतिहासिक चारमीनार स्मारक से लगे धर्मस्थल पर यथास्थिति बरकरार रखी जाए।
इस बीच हैदराबाद में मजबूत आधार वाली पार्टी मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि वह समुदाय की सुरक्षा करने में नाकाम रही तो पार्टी अपने स्तर पर कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र होगी।
रविवार रात हैदराबाद के प्रतीक, चारमीनार के पास शाहली बंदा पर लोगों ने पथराव किया, जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया और छह पुलिस वाहन व कुछ दुकानें क्षतिग्रस्त हो गईं। इसके बाद सोमवार को कई दुकानें बंद रही और कई स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी कर दी गई है।
इस बात की अफवाह थी कि इस धार्मिक स्थल के विस्तार के समर्थक एक रैली आयोजित करने जा रहे हैं। इस पर निर्माण कार्य का विरोध करने वाले वहां जमा हो गए और उन्होंने पथराव किया। उसके बाद दूसरी तरफ से भी पथराव किया गया।
दोनों गुटों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। पथराव में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। इलाके में स्थित एक एटीएम और कुछ दुकानें क्षतिग्रस्त हो गईं। पुलिस ने कहा है कि स्थिति तनावपूर्ण है मगर शांति बनी हुई है।
इस बात की अफवाह थी कि धार्मिक स्थल के विस्तार के समर्थक कोटि से चारमीनार तक एक रैली निकालने की योजना बना रहे हैं। पुलिस ने इस तरह की रैली की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। फिर भी कोटि में कुछ लोग जमा हुए, इससे यह अफवाह उड़ी कि रैली निकलने जा रही है।
इसके पहले पिछले शुक्रवार को उस समय हिंसक घटनाएं घटी थीं, जब लोगों ने इस धार्मिक स्थल के विस्तार की कोशिश के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
31 अक्टूबर की रात उक्त स्थल पर कुछ निर्माण कार्य शुरू हो गया। विरोधी गुट के लोग विरोध पर उतर आए और वे धरने पर बैठ गए तथा निर्माण कार्य रोके जाने के लिए पुलिस हस्तक्षेप की मांग करने लगे।
चारमीनार के पास यथास्थिति के आदेश :
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को आदेश दिया कि यहां स्थित ऐतिहासिक चारमीनार स्मारक से लगे धर्मस्थल पर यथास्थिति बरकरार रखा जाए। मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) से सम्बंधित पार्षदों की ओर से दायर तीन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति विलास वी. अफजलपुरकर की खण्डपीठ ने आदेश दिया कि उक्त स्थल पर कोई भी निर्माण कार्य न किया जाए।
याचिकाकर्ताओं में से एक, मोहसिन बलाला ने बताया कि न्यायालय ने निर्देश दिया है कि 31 अक्टूबर, 2012 की स्थिति बनाई रखी जाए। न्यायालय ने इसके बाद मामले की सुनवाई स्थगित कर दी और अगली सुनवाई के लिए चार सप्ताह बाद की तारीख तय कर दी।
याचिकाकर्ताओं ने निर्माण कार्य पर स्थगन की मांग की थी और कहा था कि इससे 400 वर्ष से अधिक पुराने चारमीनार को खतरा पैदा हो गया है, जो कि एक संरक्षित स्मारक है।
भाग्यलक्ष्मी मंदिर समिति, विश्व हिंदू परिषद और कुछ अन्य संगठनों ने जनहित याचिकाओं का विरोध करते हुए मामले में अपने को पक्षकार के रूप में पेश किया है।
शहर में 31 अक्टूबर से ही तनाव बढ़ रहा है, जब कुछ लोगों ने चारमीनार से लगे इस मंदिर को विस्तारित करने की कोशिश की। इस कदम का दूसरे समुदाय से सम्बंधित कुछ लोगों ने विरोध किया। इसके परिणामस्वरूप साम्प्रदायिक रूप से सम्वेदनशील पुराने शहरी इलाके में शुक्रवार को और रविवार देर रात हिंसक घटनाएं घटीं।
एमआईएम ने सरकार को दी चेतावनी :
आंध्र प्रदेश में साम्प्रदायिक हिंसा की बढ़ रही घटनाओं और राज्य सरकार की निष्क्रियता पर चिंता जाहिर करते हुए मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) ने सोमवार को चेतावनी दी है कि वह सरकार का विरोध करने से नहीं हिचकेगी।
एमआईएम का हैदराबाद में मजबूत आधार है और उसने सरकार को यह चेतावनी भी दी है कि यदि सरकार समुदाय की सुरक्षा में नाकाम रही तो पार्टी अपने स्तर पर कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र होगी।
एमआईएम, कांग्रेस सरकार को विधानसभा में समर्थन दे रही है। आंध्र विधानसभा में कांग्रेस के पास बहुत कमजोर बहुमत है।
युनाइटेड मुस्लिम एक्शन कमेटी ने सोमवार को यहां एक बैठक की और राज्य की हिंसावादी ताकतों के खिलाफ तथा निष्क्रिय रहने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। एमआईएम इस कमेटी की सदस्य है।
कमेटी ने कहा कि हिंसावादी संगठनों की गतिविधियों के कारण शहर में विस्फोटक स्थिति बनी हुई है। वे चारमीनार के पास एक धार्मिक स्थल के विस्तार की कोशिश कर रहे हैं।
एमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवेसी ने कहा कि साम्प्रदायिक तत्व शहर में खुलेरूप में सक्रिय हैं, और पुलिस या तो उनसे मिली हुई है या फिर मूकदर्शक बनी हुई है।
ओवेसी ने संवाददाताओं से कहा कि शहर में बकरीद के मौके पर भय का वातावरण पैदा किया गया और पुलिस कुर्बानी के पशुओं को जब्त कर रही थी। उन्होंने पिछले सप्ताह सब्जी मंडी की हिंसा पर भी चिंता जाहिर की।
ओवेसी ने कहा, "पिछले पांच दिनों से पूरे इलाके में अघोषित कर्फ्यू की स्थिति है। केवल मुस्लिम मुहल्लों की कटीले तारों से घेरेबंदी की गई है और लोगों को निकलने नहीं दिया जा रहा है। वे दवा और अन्य जरूरी सुविधाओं के अभाव से परेशान हैं।"
युनाइटेड मुस्लिम एक्शन कमेटी के संयोजक अब्दुल रहीम कुरैशी ने सरकार से कहा कि वह धैर्य की परीक्षा न ले। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अराजकता के गम्भीर परिणाम होंगे।