विवादों में घिरी स्वयंभू 'धर्मगुरु' राधे मां ने कहा - मैं निर्दोष और पवित्र हूं

विवादों में घिरी स्वयंभू 'धर्मगुरु' राधे मां ने कहा - मैं निर्दोष और पवित्र हूं

मुंबई:

चौतरफा विवादों में घिरी स्वयंभू धर्मगुरु राधे मां ने पहली बार सफाई देते हुए कहा, मैं पवित्र और धर्मनिष्ठ हूं। मैंने कभी किसी को दुख नहीं पहुंचाया है। हमेशा की तरह सुर्ख लाल रंग के कपड़े पहने हुए 50-वर्षीय राधे मां ने अपने समर्थकों की जोरदार नारेबाजी के बीच संक्षिप्त बयान दिया।

'अनावश्यक परेशानी' की शिकायत करते हुए राधे मां ने कहा कि उनके अनुयायी समझते हैं कि वह कोई चमत्कार कर सकती हैं, लेकिन यह सत्य नहीं है। मैं मीडिया, पुलिस और कानून से जुड़ी हुई हूं। ईश्वर भी मेरे साथ हैं। इतना कहने के बाद उनके दो अनुयायियों ने पर्दा खींच दिया और उन्हें बाकी लोगों की नजरों से ओझल कर दिया।

राधे मां का यह बयान मुंबई में 32-वर्षीय एक महिला द्वारा पुलिस में दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने के बाद आया है। पुलिस का कहना है कि वह शुक्रवार को राधे मां का बयान दर्ज करने की योजना बना रही है।

महिला का आरोप है कि राधे मां ने उसके सास-ससुर को दहेज मांगने के लिए उकसाया। महिला के ससुराल वाले कई सालों से राधे मां के अनुयायी हैं। महिला ने दहेज के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया है। राधे मां और छह अन्य के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। महिला ने कहा कि उसके ससुराल वालों ने राधे मां के कहने पर उनकी (राधे मां की) सेवा करने, घरेलू कामकाज करने तथा उनकी मसाज करने के लिए दबाव डाला।

एक अन्य शिकायत में राधे मां पर गुजरात के एक परिवार को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया। आरोप के मुताबिक कच्छ में 23 मार्च को एक परिवार के सात सदस्यों ने खुदकुशी कर ली थी, क्योंकि उन्होंने अपना सारा पैसा राधे मां पर खर्च कर दिया था, लेकिन इसके एवज में उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हुआ। कथित रूप से इस परिवार ने यह सोचा था कि राधे मां उनकी हालत सुधारने में काफी मदद करेंगी।

पिछले हफ्ते लाल रंग की मिनी स्कर्ट में राधे मां की तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी, जिसे रिएलिटी टीवी स्टार राहुल महाजन ने शेयर किया था।

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सुखविंदर कौर जिन्हें उनके अनुयायी राधे मां के नाम से बुलाते हैं, तीन बच्चों की मां हैं। उनके बहुत से अनुयायी उन्हें अलौकिक शक्तियों से लैस मानते हैं और उनके प्रवचनों को बड़ी श्रद्धापूर्वक सुनते हैं। उन्होंने कथित रूप से 23 वर्ष की उम्र में खुद को धर्मगुरु कहना शुरू कर दिया था।